पुजारी, साधु और धार्मिक लोग “माला क्यों फेरते हैं?”
Pujari, Sadhu aur Dharmik Log Mala Kyo Pherte hai?
माला एक पवित्र वस्तु है, जो ‘शुचि संज्ञक’ वस्तुओं से बनाई जाती है। इसमें 108 मनके होते है जिससे साधक को अनुष्ठान सम्बन्धी जप-मंत्र की संख्या का ध्यान रहता है। अंगिरा स्मृति में कहा गया है-
‘असंख्या तु सज्जप्त, तत्सर्वं निष्फलं भवेत्।‘
अर्थात ‘बिना माला के संख्याहीन जप जो होते हैं, वे सब निष्फल होते हैं।’
विविध प्रकार की मालाओं से विविध प्रकार के लाभ होते हैं। अंगुष्ठ और अँगुली के संघर्ष से एक विलक्षण विद्युत उत्पन्न होती है, जो धमनी के तार द्वारा सीधी हृदय-चक्र को प्रभावित करती, इधर-उधर डोलता हुआ मन इससे निश्चल हो जाता है।
मध्यम अँगुली की धमनी का हृदयप्रदेश से सीधा सम्बन्ध होता है। हृदयस्थल में ही आत्मा का निवास है। आत्मा का माला से सीधा सम्बन्ध जोड़ने के लिए माला का मनका मध्यमा अंगुली की सहायता से फिराया जाता है।
माला का क्रम नक्षत्रों की संख्या के हिसाब से रखा गया है। भारतीय ऋषियों ने कुल 27 नक्षत्रों की खोज की। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। 27 x 4 = 108 । अतः कुल मिलाकर 108 की संख्या तय की गई है। यह संख्या परम पवित्र मानी गई। तत्पश्चात् हिन्दूधर्म के धर्माचार्यों, जगद्गुरुओं के आगे भी ‘श्री 108’ की संख्याएँ सम्मान में लगाई जाने लगीं।
माला द्वारा मंत्रजप करते समय हाथ की अंगुलियों से एक विशेष मद्रा बनती है. जिसमें दाहिने हाथ का अंगूठा और अनामिका अनवरत रूप से एक-दूसरे को स्पर्श करती रहती हैं। मध्यमा द्वारा चलाई जाने पर अंगूठे के साथ मध्यमा का परस्पर घर्षण होता रहता है। इस घर्षण से माला के प्रभाव से एक दिव्य ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह विद्युत ऊर्जा अनामिका एवं अँगूठे द्वारा एक वर्तुल बनने से एक चक्र में घूमती रहती है और साधक के शरीर में कितना जप हुआ, इस बात का ठीक पता चल जाता है और अपने-अपने निश्चित नियम के अनुसार जापक अपने समय का नियन्त्रण कर सकता है। माला प्रायः ‘शुचि’ संज्ञक वस्तुओं से ही बनाई जाती है। अत: कुशा की भाँति इससे भी वह सब लाभ होंगे। अंगुष्ठ और अँगुली के संघर्ष से एक विलक्षण विद्युत उत्पन्न होती है, जो धमनी के तार द्वारा सीधी हृदय-चक्र को प्रभावित करती है। इसके कारण इधर-उधर डोलता हुआ मन इससे निश्चल हो जाता है। यह मंत्रजनित ऊर्जा आत्मसात होती रहती है। ध्यान देने की बात यह है कि विद्युत प्रवाह के लिए वर्तुलाकार पथ अनिवार्य है।