पर्यावरण-संरक्षण
Paryavaran Sanrakshan
जिस वायुमंडल में हम साँस लेते हैं, उसे पर्यावरण कहते हैं। इसी पर्यावरण के कारण ही हम जीवित हैं। यदि इसमें आवश्यकता से अधिक गर्मी या ठंडक बढ़ जाए तो जीवन का अंत हो सकता है। यदि प्राकृतिक रूप से मिलने वाला जल मिलना बंद हो जाए, धरती दूषित फसलें उगाने लगे तो हमारा जीना दूभर हो जाएगा। हम मानव और जीव सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में ही जी सकते हैं। इसलिए यह हमारा दायित्व बनता है कि हम अपने पर्यावरण को स्वस्थ बनाए रखें। इसके लिए हमें धरती को हरा-भरा रखना होगा। इसके जल-संसाधनों को पवित्र बनाए रखना होगा। हम अपनी आकांक्षाओं के लिए जो अंधाधुंध प्रदूषण फैला रहे हैं, उसे रोकना होगा।