ऊँट के मुँह में जीरा Unth ke muh me Jeera दादाजी और अमर बाहर आँगन में बैठे थे। घर के अंदर रसोई में दादीजी खाना बना रही थीं। …
ऊँची दुकान, फीके पकवान Unchi Dukan, Phike Pakwan अमर और लता दादीजी के पास बैठे थे। तभी दादाजी बाहर से आए और बोले-“आज किसी काम से मुझे रामलाल …
आसमान से गिरा, खजूर में अटका Asman se gira, Khajur me Atka दादाजी बाजार से आए तो अमर और लता ने उन्हें घेर लिया-“दादाजी दादाजी! हमारे लिए क्या …
आग लगने पर कुआँ खोदना Aag Lagne par Kuva Khodna शाम को दोस्तों के साथ खेलने के बाद अमर वापस अपने घर आया और दादाजी से बोला-“दादाजी, आज भरत …
आँख के अंधे नाम नयनसुख Aankho ke andhe naam Nayansukh अमर और लता दादाजी के पास बैठे थे। दादाजी उन्हें मजेदार बातें सुना रहे थे। इसी सिलसिले में दादाजी …
अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत Ab Pachtaye hot kya jab Chidiya chug gai khet लता स्कूल से आकर उछलती हुई दादाजी के पास गई। …
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू Apne Muh Miya Mitthu अमर और लता दोनों भाई-बहन स्कूल से घर आए। लता ने अपना बैग रखा और दौड़ती हुई दादाजी के पास …
अंधों में काना राजा Andho me Kana Raja एक बार छुट्टियों में दादाजी अमर और लता को अपने साथ गाँव ले गए। गाँव में अमर और लता के ताऊजी …
अंधी पीसे, कुत्ता खाए Andhi Pise Kutta Khaye दादाजी ने दादीजी से कहा-“अरी भागवान, तुम्हें मालूम है कि रामलाल जी ने एक फ्लैट खरीद लिया है। पूरे पंद्रह …
अंत भला तो सब भला Ant Bhala to Sab Bhala अमर और लता कुछ बच्चों के साथ घर के बाहर खेल रहे थे। तभी वहाँ एक साधु बाबा आए। …