पढ़ेगा भारत तो बढ़ेगा बढ़ेगा भारत
Padhega Bharat to Badhega Bharat
शिक्षा विकास का वह क्रम है जिससे व्यक्ति धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार से अपने भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक वातावरण अपने अनकल बना लेता है। लेकिन यह उद्देश्य कोई भी देश तभी प्राप्त कर सकता है जब आरंभ से ही बच्चे को शिक्षित बनाने के प्रयास किए जाएँ। देश इक्कीसवीं शताब्दी में पहुंच गया है पर अब भी देश का बच्चा अशिक्षित रह जाता है। इसके कारण कई हो सकते हैं जैसे जहाँ रहता है वहाँ स्कूल का न होना, माता-पिता का इतना निर्धन होना कि बच्चे को पढ़ाने में असफल हों। अथवा बच्चे को चाह कर भी अच्छे स्कूल में दाखिला न मिलना आदि। बच्चा पढ़ेगा तो देश बढ़ेगा। अगर इस स्लोगन को कामयाब बनाना है तो निश्चित रूप से देश और माता-पिता दोनों को ही सक्रिय होना पड़ेगा। डॉ हैलर पीज ने तो यहाँ तक कहा है कि जो माता-पिता अपने बच्चे को नहीं पढ़ाते हैं, उन्हें बालपन से ही मजदूरी करने के लिए झोंक देते हैं, उन पर आपराधिक मामले दर्ज किए जाने चाहिए। बहरहाल, बच्चा पढ़ाना। माता-पिता की नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए और बच्चे के लिए उसके निकट शिक्षा की व्यवस्था करना सरकार का काम होना चाहिए। तभी बच्चा बढ़ेगा और देश भी आगे बढ़ेगा।