Nashakhori ki Badhti Pravriti “नशाखोरी की बढ़ती प्रवृत्ति” Hindi Essay 300 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

नशाखोरी की बढ़ती प्रवृत्ति

Nashakhori ki Badhti Pravriti

आज के युवाओं में नशे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। सौ में से नब्बे फीसद युवा नशे की आदतों के शिकार हैं। जिनके सेवन से मानसिक विकृति पैदा होती है. उन्हें नशीले पदार्थ कहा जाता है। आज के युवा न केवल सिगेरट बल्कि शराब, अफीम, गाँजा, भाँग, चरस, ताड़ी, कोकीन आदि की आदतों के शिकार हैं। इन नशों ने युवाओं को खोखला करके रख दिया है। इससे इनकी आंतों को नुकसान हो रहा है। किडनी बिगड़ रही है, लिवर कमज़ोर हो रहा है। बहुत-सी बीमारियाँ हैं जिन्होंने इन पर बिना बुलाए आघात कर दिया है। ड्रग्स ने शरीर की हाजमे की ताकत खत्म कर दी है। इसके कारण पेट में कष्ट हो रहा है। नशे के कारण इन युवकों में तरह-तरह के दुर्गुण आ गए हैं। नशे में धुत्त होकर नशेड़ी अपना होश खो बैठता है। उसका विवेक उससे विदा हो जाता है। बच्चों व पत्नी को पीटने लगता है। लड़खड़ाते हुए चलता है। ऊल-जलूल बकता है। कोई शराब पीकर गाड़ी चलाता है और दुर्घटना कर देता है। स्वयं भी जान से जाता है और दूसरों को ले मरता है। मिल्टन ने नशाखोरी के बारे में कहा है, ” संसार की सारी सेनाएँ मिलकर इतने मानवों और इतनी संपत्ति नष्ट नहीं कर सकती जितनी शराब की आदत।” वाल्मीकि ने तो लिखा है शराब या नशा करने वाले का अर्थ, काम और धर्म तीनों नष्ट हो जाते हैं। शराब पीने वाले अपने धन की हानि करते हैं, किसी से भी झगडा करते हैं, रोगों को निमंत्रण देते हैं, शर्म बेच खाते हैं और बुद्धि निर्बल करते हैं। नशाखोर अपना नशा खोज ही लेते हैं। नशाखोरी से बचने का एक ही उपाय है कि इस पर तत्काल रोक लगा दी जाए। लेकिन कुछ का कहना है कि इस पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए क्योंकि इससे राजस्व की हानि होती है। लेकिन युवाओं के नशाखोरी से देश का भविष्य नष्ट हो रहा है। इसलिए इस पर तत्काल रोक लगानी चाहिए।

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