नदी की आत्मकथा
Nadi Ki Atmakatha
नदियों का महत्त्व , भारत की प्रमुख नदियाँ, नदी–तट पर स्थित स्थान, उत्तर भारत की प्रमुख नदियाँ, नदी–तट का प्राकृतिक दृश्य, नदी–जल का प्रदूषण, नदी में बाढ़ से हानियाँ।
धरती पर जीवन के लिए नदियों का बहुत महत्त्व है । नदियों का जल साफ और शुद्ध होता है । मनुष्य तथा जीव-जन्तु नदी-जल का बहुत उपयोग करते हैं । नदी धरती की शोभा होती है । कलकल-छलछल बहती नदी का दृश्य देखना बहुत आनन्ददायक होता है । नदी का तट भ्रमण के लिए बहुत उपयुक्त होता है।
संसार में अनेक छोटी-बड़ी नदियाँ हैं । पुरानी सभ्यताओं का विकास नदी तट पर हुआ था । भारत में सिन्धु नदी के तट पर हड़प्पा संस्कृति फली-फूली थी । भारत की नदियों में ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी, सतलुज, ताप्ती आदि प्रमुख स्थान रखती हैं । नदी-तट पर अनेक शहर बसे हुए हैं। भारत की राजधानी दिल्ली यमुना नदी के तट पर स्थित है । इलाहाबाद, पटना, वाराणसी आदि अनेक शहर गंगा नदी के तट पर बसे है । गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाता है । गंगा-जल में स्नान करना पुण्य का कार्य माना जाता है । हमारे देश में नदियों की पूजा की जाती है । नदी तट पर अनेक प्रकार के धार्मिक संस्कार होते हैं।
उत्तर भारत की प्रमुख नदियाँ हिमालय पर्वत से निकलती हैं । यहाँ से निकलने वाली नदियों में सालों भर जल रहता है । नदी जल से प्राणियों का कल्याण होता है । जीव-जन्तु नदी जल से अपनी प्यास बुझाते हैं । नदी जल से किसान अपनी फसलों को सींचते हैं । नदी पर बाँध बनाकर जल इकट्ठा किया जाता है । यही जल शहरों में नलों के द्वारा घर-घर पहुँचाया जाता है। नदी जल की धारा को ऊँचाई से गिराकर बिजली तैयार की जाती है । बडी नदियों में पानी के जहाज एवं नावें चलती हैं । इस जलमार्ग से लाखों टन सामान ढोए जाते हैं । नदी जलमार्ग देश के अन्दर व्यापार को बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं।
नदियाँ प्रकृति की देन हैं । नदी-तट पर घूमना-फिरना बहुत आनन्ददायक होता है । नदियों के तट पर हमारे देश में अनेक तीर्थस्थान है । यहाँ मेले लगते हैं । इलाहाबाद में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के तट पर विश्व प्रसिद्ध कंभ का मेला लगता है। इस मेले को देखने देश-विदेश से करोड़ों लोग आते हैं । वे पवित्र संगम पर स्नान करते हैं तथा मेला देखते हैं। भक्तगण यहाँ आते ही रहते हैं । पर्यटक यहाँ आकर नौका-विहार का आनन्द उठाते हैं।
नदियों का महत्त्व हमेशा से रहा है । आधुनिक युग में भी शहरी सभ्यता का विकास नदियों के कारण ही संभव हुआ है । लेकिन आज अशिकतर नदियों का जल प्रदूषित हो गया है । शहर की नालियों की सारी गंदगी पवित्र नदियों में डाल दी जाती है । यहाँ अनेक प्रकार का कूड़ा-कचरा भी डाल दिया जाता है । कल-कारखानों से निकला गंदा रासायनिक पदार्थ नदी जल को और भी खराब कर रहा है । यही कारण है कि लोगों के सामने पीने के शुद्ध पानी की समस्या खड़ी हो गई है। हमें इस खतरनाक स्थिति से निकलना होगा। नदी-जल को प्रदूषण से मुक्त रखना हमारी ही जिम्मेदारी है।
नदियाँ जहाँ मनुष्यों तथा जीव-जन्तुओं की प्यास बुझाती हैं वहीं बाढ़ आने पर ये हमारे लिए खतरनाक हो जाती हैं । बाढ़ में गाँव और शहर ड्ब जाते हैं । जान-माल की भारी हानि होती है । बाढ़ के समय नदी का जल गंदा हो जाता है । बाढ़ हटने पर नदी का जल फिर से निर्मल हो जाता है । निर्गल जल बहाने वाली नदियाँ सदा ही मंगलकारी होती हैं । इसलिए नदियों की स्वच्छता का हर संभव प्रयास करना चाहिए । प्रदूषित हो चुकी नदियों को फिर से स्वच्छ बनाना चाहिए । नदियों में कूड़ा-करकट और मल-मूत्र का बहाव नहीं करना चाहिए।