मोबाइल बिन सब सूना
Mobile Bin Sab Suna
कभी टेबिल फोन जिनके पास होता था उसे समाज में सम्मानित दृष्टि से देखा जाता था। धोरे-धीरे टेलीफोन को जगह मोबाइल ने ले ली। आज लगभग हर घर में एक मोबाइल तो ज़रूर है। चाहे केन्द्रीय मंत्री हो और चाहे स्कूल-घरों में काम करने वाले सफाई कर्मी। अगर घर से बाहर निकलते हुए मोबाइल छूट गया तो दो-तीन किलोमीटर दूर जाकर भी उसे घर वापस लेने आएँगे आखिर आज व्यक्ति को यह लगने लगा है कि मोबाइल बिना लगे सब सूना। मोबाइल आज व्यक्ति के लिए उसी तरह जरूरी हो गया है जिस तरह शरीर में साँस। आज मोबाइल क्या नहीं कर सकता? वह केवल सूचना सुनने और सुनाने के ही काम नहीं आ रहा है अपितु बहुद्देश्यीय बनकर सामने आया है। उस पर आप अपना मन चाहा टीवी कार्यक्रम देख सकते हैं। समाचार सुन सकते हैं, फिल्में देख सकते हैं, मनचाहे कार्यक्रम लोड कर सकते हैं, देश-दुनिया की खबर रख सकते हैं दूरदराज लोगों से रुबरू बात कर सकते हैं। आखिर ऐसा कोई काम नहीं है जो आज. मोबाइल के ज़रिए नहीं हो सकता। यहाँ तक ऑनलाइन दफ्तर के काम निपटा सकते हैं और व्यापारिक गतिविधि यों में हर क्षण शरीक रह सकते हैं। इसलिए आज के आदमी को लगता है बिना मोबाइल लगे सब सूना।
I think it’s true