अपने मित्र को सुबह की सैर की सलाह देते हुए पत्र
200, घोंघर, रीवा (म.प्र.)
15 मई 2008
प्रिय मित्र आशीष,
नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। पता चला कि तुमने नियमित सुबह की सैर शुरू की है। अच्छा लगा। मैं यह कार्य पिछले एक वर्ष से कर रहा हूँ। पिछले एक माह से पिताजी की सलाह पर सैर करते समय मैंने तीन मिनिट तक दौड़ना भी शुरू किया है।
दौड़ने के अभ्यास से मुझमें दिन भर स्फूर्ति रहती है। मैं खुद को अधिक तरोताजा महसूस करता हूँ। पढाई में भी मन लगता है। मैं कुछ अधिक मोटा हो रहा था, उस पर भी रोक लगी है। मेरी सलाह मानो, तो तुम भी यह अभ्यास शुरू करो। आशा है तुम स्वस्थ व प्रसन्न होगे तथा तुम्हारी पढ़ाई ठीक चल रही होगी। प्रतिक्रिया जरूर लिखना।
तुम्हारा दोस्त
पराग