मिताली राज
Mithali Raj
जन्म : 3 दिसम्बर, 1982 जन्मस्थान : जोधपुर (राजस्थान)
महिला क्रिकेट खिलाड़ी मिताली राज जब 1999 में प्रथम बार अन्तरराष्ट्रीय एक दिवसीय मैच में शामिल हुई तो बिना कोई रन बनाए डके (जीरो) पर आउट हो गई। लेकिन उसने अपने कैरियर में अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़कर दिखाया और अन्तरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में आज तक का सर्वाधिक स्कोर 214 रन बना कर कीर्तिमान स्थापित किया। यह इतिहास उसने इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए 2002 में बनाया।
हैदराबाद की मिताली राज ने आस्ट्रेलिया की करेन बोल्टन का रिकार्ड तोड़ दिया जिसने 209 रन बना कर रिकार्ड स्थापित किया था। सोमरसेट में होने वाले मैच में मिताली बहुत नर्वस थी क्योंकि इस सीरीज़ में वह अच्छा स्कोर नहीं बना सकी थीं। परन्तु टीम के साथियों ने उसे हिम्मत दिलाई कि वह इस बार जरूर अच्छा स्कोर बनाएगी क्योंकि सभी का मानना था कि वह टीम की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी जब मिताली क्रिकेट के मैदान में 208 रन बना चुकी थी तब उसे बताया गया कि वह एक बड़ा रिकार्ड तोड़ने के मुकाम पर है। तब मिताली ने बिना किसी तनाव के आत्मविश्वास के साथ खेला और 214 रन बना डाले। उस क्षण उसे ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ कि उसने कुछ अनोखा कर डाला है।
उसके कोच सम्पत कुमार ने उसे आगे बढ़ाने के लिए उससे कड़ी मेहनत कराई। गर्मी हो या बरसात, उसे अभ्यास करना ही होता था। जब वह ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ती थी तभी उसे क्रिकेट का बल्ला घुमाते समय देखकर उन्होंने कहा था- मिताली कोई साधारण लडकी नहीं है। वह सचिन की भांति अन्तरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बन सकती है।
बचपन में जब उसके भाई को क्रिकेट की कोचिंग दी जा रही थी, वह मौका पाने पर गेंद को घुमा देती थी। तब क्रिकेटर ज्योति प्रसाद ने भी उसे नोटिस किया और कहा कि वह क्रिकेट की अच्छी खिलाड़ी बनेगी।
मिताली का मानना है कि महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उसके लिए अच्छे स्पांसर को आगे आना चाहिए।
मिताली के माता-पिता ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया तथा हर प्रकार की सहायता की जिसके कारण वह अपने इस मुकाम तक पहुंच सकी है। उसके पिता डोराई राज बैंक में नौकरी करने के पूर्व एयर फोर्स में थे। वह स्वयं भी क्रिकेटर रहे हैं, उन्होंने मिताली को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयत्न किया। उसके यात्रा खर्च उठाने के लिए अपने खर्चे में कटौती की। इसी प्रकार उसकी माँ लीला राज को भी अनेक कुर्बानियां बेटी के लिए देनी पड़ी। उन्होंने बेटी की सहायता हेतु अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि जब खेलों के अभ्यास के पश्चात् थकी-हारी लौटे तो वह अपनी बेटी का ख्याल रख सके।
मिताली ने अपना कीर्तिमान 19 वर्ष की अवस्था में ही बना दिया परन्तु उसे लगता है कि उसका बचपन कहीं खेलों में ही गुम हो गया। हरदम खेलों के अभ्यास के कारण वह अपने बचपन की शरारतों का आनन्द नहीं उठा सकी। शायद इसी कारण वह बड़ी होने के बाद भी माँ के हाथ से खाना खाती है, जब कभी उसकी इच्छा होती है।
214 रन का रिकार्ड बनाने के बाद उसके लिए यह बहुत बड़ी अहमियत की बात थी कि उसकी माँ उसे रेलवे स्टेशन पर लेने आई थी। जबकि उससे पहले किसी भी टूर्नामेंट के बाद माँ उसे लेने स्टेशन नहीं आई थी।
मिताली टी. वी. पर क्रिकेट केवल इसलिए देखती है ताकि सचिन के बल्ले का जादू देख सके और उसी प्रकार के कुछ शाट्स खेल सके। उसे सचिन के ‘स्ट्रेट ड्राइव’ और ‘स्क्व यर कट’ बहुत पसन्द हैं। उसे लगता है कि सचिन का स्टाइल वाकई कमाल का है।
मिताली की इच्छा है कि अगला ‘महिला वर्ल्ड कप’ भारत ही जीत कर लाए और भारत की टीम के लिए सर्वाधिक रन वही बनाए।
2003 की क्रिकेट उपलब्धियों के लिए 22 वर्षीय मिताली राज को 21 सितम्बर, 2004 को ‘अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उसने बताया कि उसे क्रिकेट और नृत्य में से एक राह चुननी थी। क्रिकेट के कारण वह अपनी भरतनाट्यम नृत्य कक्षाओं से बहुत समय तक दूर रहती थी। तब नृत्य अध्यापक ने उसे क्रिकेट और नृत्य में से एक चुनने की सलाह दी थी।
4 वर्षों के अन्तराल के पश्चात् जुलाई 2006 में मिताली राज के नेतृत्व में महिला क्रिकेट टीम ने पुनः इंग्लैंड का दौरा किया। सभी खिलाड़ी बहुत ट्रेनिंग लेकर वन डे इन्टरनेशनल खेलने गई थीं। यह बी.बी.सी.आई. (क्रिकेट बोर्ड) तथा वीमेन्स क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एकीकरण की ओर कदम था।
मिताली राज की अगुआई में भारतीय टीम ने टांटन में इंग्लैंड को दूसरे स्ट में पाँच विकेट से करारी शिकस्त देकर दो मैचों की श्रृंखला 1-0 से जीत ली। इस प्रकार मिताली के नेतृत्व में महिला क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड को उसकी ही जमीन पर मात दे दी, जिससे मिताली को भरपूर प्रंशसा मिली, साथ ही जीत का श्रेय भी।।
उपलब्धियां :
- मिताली राज भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हैं। उन्होंने एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मैच में 1999 में पहली बार भाग लिया। यह मैच मिल्टन कीनेस, आयरलैंड में हुआ था जिसमें मिताली ने नाबाद 114 रन बनाए।
- उन्होंने 2001-2002 में लखनऊ में इंग्लैंड के विरुद्ध प्रथम टैस्ट मैच खेला।
- उन्होंने टान्टन में इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट मैच में 214 रन बनाकर प्रसिद्धि पाई। यह महिला क्रिकेट का सर्वाधिक रन का रिकॉर्ड है।
- मिताली ने महिला विश्व कप 2005 में भारतीय महिला टीम की कप्तानी की। वह गेंदबाजी करने में भी कुशल हैं।
- मिताली को 2003 में अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
- उन्होंने ‘भरतनाट्यम नृत्य में भी ट्रेनिंग प्राप्त की है और अनेक स्टेज कार्यक्रम दिए हैं।
- 2010 में आईसीसी वर्ल्ड रैंकिंग में प्रथम स्थान प्राप्त किया।