Metro Rail ka Safar “मेट्रो रेल का सफर” Hindi Essay 250 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

मेट्रो रेल का सफर

Metro Rail ka Safar

एक सुबह मैं मामा जी के घर दिल्ली आया और उनसे कहा कि मुझे मेट्रो रेल में सफर करना है। उन्होंने हामी भर ली। मेरी मौसी जी कश्मीरी गेट रहती थी। इसलिए तय किया कि मेट्रो से ही आज मौसी जी के घर चलेंगे। सबह दस बजे हम रिठाला मेट्रो स्टेशन पहुंचे। यह साफ-सुथरा था। लाइन में लगकर टोकन खरीदा। टोकन खरीद कर सुरक्षा कवच पार किया और एक्सेलेटर से प्लेटफार्म पहुँचे। जब प्लेट फार्म पहुंचे तब एक ट्रेन जा रही थी। मुझे लगा कि अब दसरी टेन देर से आएगी पर दो मिनट में ही दूसरी भी आ गई। प्लेटफार्म पर गर्मी लगने का तो सवाल पैदा नहीं होता था। सारा का सारा स्टेशन एयरकंडीशन था। ट्रेन के अपने आप दरवाजे खुले। मामा जी सीनियर सिटीजन थे। वे एक सीट के पास पहुंचे तो बैठा युवक स्वयं उठ गया। मामा जी बैठ गए। मैं उनके करीब ही बैठ गया। गाड़ी चलने का पता नहीं चल रहा था। शीशे से बाहर का धुंधला-धुंधला नजारा दिखाई दे रहा था। सब लोग शांत थे। कुछ लोग लेपटॉप पर काम कर रहे थे और कुछ मोबाइल देख सुन रहे थे। डिब्बे में एक पट्टी आती थी जो आगामी स्टेशन की सूचना देती थी साथ ही सावधान भी करती थी। साथ ही उद्घोषणा की जाती थी, ‘दरवाजे से हटकर खड़े हों’ आदि। करीब तीस मिनट बाद हम कश्मीरी गेट पहुंचे। यह स्टेशन काफी बड़ा था। एक्सीलेटर चढ़कर हम बाहर जाने के लिए गेट पर आए। टोकन डाल पर दरवाजा खुला और हम बाहर आ गए। सचमुच मेट्रो का सफर रोमांचक था और सुहावना था। यह मुझे बार-बार याद आता है।

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