मेरा सबसे प्रिय व्यक्ति
Mera Sabse Priya Vyakti
दुनिया में ऐसे बहुत से लोग होते हैं, जो हमें अच्छे लगते हैं पर उन्हीं में से कोई ऐसा भी होता है जो हमें सबसे प्रिय होता है। मुझे सबसे ज्यादा प्रिय हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य है। उनकी कद काठी, चाल-ढाल, रंग-रूप और व्यवहार सब उनकी श्रमसाधना और दृढ़ इच्छा शक्ति को दर्शाते हैं। कभी कहीं उनके चेहरे पर थकान का कोई भाव नहीं, शक्ति और उर्जा से लबालब, माथे पर शिकन की कोई रेखा नहीं; असंभव को संभव बनाने की अद्भुत क्षमता, विराट व्यक्तित्व, मृदु व्यवहार समेत उनमें वे सभी विशषताएँ है जो सहज ही किसी को अपना बना लेने की क्षमता रखती है।
लगभग 60 की उम्र के आसपास का वह व्यक्ति अपनी सतुलित दिनचर्या के कारण आज भी किसी युवा से अधिक ऊर्जावान प्रतीत होता है। उनके सपने, उनकी मेहनत तथा कार्य क्षमता आज भी किसी युवा से कम नहीं। विपत्तियों को चुनौती देना, उनसे जूझ जाना, हर समस्या का चुटकियों में हल निकाल लेना जैसे उनके लिए बाएँ हाथ का खेल है। हारना जैसे उन्हें आता ही नहीं है। मुसीबतें जैसे स्वयं उनके सामने नतमस्तक होकर घुटने टेक देती हैं।
जिंदगी की जीवंत मिसाल, प्रेरणा का स्रोत, दृढ़ निश्चय का स्वामी, जुझारू व्यक्तित्व तथा बनावटीपन से कोसों दूर यह दिव्य पुरूष सदैव अपनी दिव्यता से स्वयं को तथा अन्य लोगों को आलोकित करे मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है।