मेरा प्रिय खेल फुटबॉल
Mera Priya Khel Football
खेलों का महत्त्व सर्वविदित है। खेलों के प्रति बच्चों एवं किशोरों का विशेष आकर्षण होता है। हमारे देश में अनेक खेल लोकप्रिय हैं। जैसे-क्रिकेट, हॉकी, कबड्डी एवं फुटबॉल। मुझे इन खेलों में फुटबॉल विशेष प्रिय है, क्योंकि मैं इस विद्यालय में कई वर्षों से इसे खेल रहा हूँ। इस खेल से शरीर में स्फूर्ति और उत्साह आता है। इससे शारीरिक कसरत होती है।
इस खेल में दो टीमें होती हैं। प्रत्येक टीम में खिलाड़ी होते हैं। जो अपनी-अपनी वर्दी पहनकर 15 मिनट पहले मैदान में आ डटते हैं। इस खेल के आरम्भ होने से पहले मैदान के चारों ओर दर्शक बैठ जाते हैं। पहले दोनों टीमों के कप्तान मैदान में पहुँच जाते हैं, सिक्का उछाला जाता है और कोई भी टीम टॉस जीतती है। टीमें अपनी पसन्द का गोल सम्भालती हैं और उसके बाद निर्णायक की सीटी के साथ खेल आरम्भ होता है। कुछ समय खेलने के बाद पैनल्टी किक मिलती है तथा इसे गोल में परिवर्तित करने का प्रयास किया जाता है। इसमें मध्यान्तर के बाद खेल में तेजी आती है, क्योंकि दोनों टीमें अधिक-से-अधिक गोल करने का प्रयास करती हैं। खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए तालियाँ बजाई जाती हैं। इस प्रकार एक टीम विजयी होती है तथा दूसरी पराजित, परन्तु खेल के अन्त के पश्चात् दोनों टीमें आपस में हाथ मिलाती हैं। ।
इस प्रकार यह खेल हमारा मनोरंजन करने के साथ-साथ, आपसी मेल-मिलाप बनाए रखने, संकटों को हँसते-हँसते झेलने की प्रेरणा देता है। इससे निरन्तर काम में या पढ़ाई में लगे रहने से उत्पन्न ऊब तथा खीज मिट जाती है। यह खेल हमें हार और जीत दोनों को समान भाव से लेने तथा शिष्टाचार की सीख देता है।