महँगी होती चिकित्सा सुविधाएँ
Mehangi Hoti Chikitasa Suvidhaye
मध्यवर्गीय परिवार में आमतौर पर आपसी बात में परिवार के लोग कहा करते हैं, अपना | ध्यान रख, बीमार हो गया तो घर बिक जाएगा, ठीक नहीं होगा। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि, अगर किसी को तीन दिन | बुखार आ जाए तो घर का महीने का बजट बिगड़ जाता है। इसकी वजह यह है कि वर्तमान चिकित्सा सुविधाएँ बहुत महँगी | हो गई हैं। सरकारी अस्प्तालों में बीमार लंबी लाइनों में लगकर घंटों समय खराब कर अपने आप को दिखा तो आता है पर | उसे वहाँ से दवाएँ आमतौर पर नहीं मिलती। दवाइयाँ उसे बाजर से खरीदनी पड़ती हैं। निजी चिकित्सा संस्थानों या प्राइवेट अस्पतालों में रोगियों को अगर ऑप्रेशन कराना पड़ जाए तो लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे अस्पताल हैं जिनमें बीमार के लिए प्रतिदिन सुबह पचास हजार रुपए या इससे ज्यादा जमा करवाने पड़ते हैं तब इलाज संभव हो पाता है। जनसामान्य तो इन अस्पतालों में इलाज करवा ही नहीं सकता। एक बार मरीज़ डॉक्टर की शरण में आ जाए, हजारों रुपए उसे विभिन्न जाँच में खर्च करने पड़ जाते हैं। इसके बाद इलाज शुरू होता है। प्राइवेट अस्पतालों में मरीज को घर जैसा आराम मिल जाता है पर पैसा पानी की तरह बहाना पड़ता है। चाहे मकान दुकान बिक जाए पर इलाज तो मरीज़ को कराना ही पड़ता है। महंगे इलाज की वजह से कुछ लोग तो अस्पतालों में जाते ही नहीं हैं। वैद्य-हकीम के चक्कर में फंस जाते हैं और ज्यादा बीमार हो जाते हैं। कभी-कभी तो इतने गंभीर रोग के शिकार हो जाते हैं कि पैसा बहाने के बाद भी ठीक नहीं होते। वस्तुतः निजी अस्पतालों पर सरकार का नियंत्रण कम रहता है। इसलिए ये मनमानी फीस बढ़ाते चले जाते है। इन्हें तो पैसा बनाना है। संवेदना नाम की चीज़ इन डॉक्टरों में न के बराबर है।