महँगाई
Mehangai
देश इस समय भयानक महँगाई के दौर से गुजर रहा है। यों तो देश की आजादी के साथ ही महँगाई बढ़नी शुरू हो गई थी पर इतनी अधिक नहीं थी। इस समय तो इतनी तेजी से महँगाई बढ़ रही है कि गरीब आदमी को जीवन जीना कठिन होता जा रहा है। रोटी कपड़ा और मकान सब महँगे हो गए हैं। आना-जाना महँगा हो गया है। अमीरों को तो इस महँगाई से फर्क पड़ने वाला नहीं क्योंकि साधन संपन्न हैं। अधिक परेशानी गरीबी रेखा के नीचे बसने वालों को है। आटा, चावल, दाल, मसाले, ईंधन, कपड़ा, सब्जी सब महँगी हैं। जितनी तेजी से महँगाई बढ़ रही है उतनी तेजी से वेतन नहीं बढ रहा है। ऐसे में बहुत से लोगों को गलत काम करना पड़ रहा है। संस्कृत में एक कहावत है कि बुभुक्षितः कथं न करोति | पापम्। बढ़ती महँगाई गरीबी में जीने वालों को बड़ा से बड़ा पाप करने के लिए मजबूर कर रही है। रोज वित्तमंत्री महँगाई कम करने के बयान देते नज़र आते हैं लेकिन उनके बयानों का महँगाई पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। अभी हाल में केन्द्र सरकार ने योजना बनाई है कि विदेशों में दलहन उगाने के प्रयास किए जाएंगे। इसका कब असर होगा, कौन जानता है? अगर सरकार महँगाई पर नियंत्रण करना चाहती है तो तत्काल जिसों की जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक लगानी होगी। तब जाकर महँगाई पर नकेल लग सकती है।