मनोरंजन की दुनिया
Manoranjan Ki Duniya
मन को आनंद प्रदान करने की क्रिया को मनोरंजन कहा जाता है। ऐसा कोई भी काम जिसमें व्यक्ति का समय आनंद के साथ व्यतीत होता है, उसे मनोरंजन कहा जाएगा। मनोरंजन के मनोविनोद, इन्टरटेनमेंट जैसे शब्द पर्यायवाची हैं।
लेकिन मनोरंजन को केवल मन को आनंद प्रदान करने वाली क्रिया तक ही सीमित नहीं रख सकते। यह एक बड़ा जीवन-दर्शन है। मनोरंनज वही कर सकता है जो अपने जीवन-मूल्यों के प्रति आस्था रखता है। मनोरंजन करना एक तरह से अस्थिर मन को कमल की तरह विकसित करना है। दाग ने एक शेर इसी सिलसिले में लिखा है-
दिल दे तो इस मिजाज का परवर दिगार दे
जो रंज की घड़ी को खुशी में गुजार दे॥
जो व्यक्ति जीवन को हँसकर जीते हैं उनके लिए मनोरंजन रामबाण से कम नहीं। मनोरंजन के बहुत-से साधन हैं। प्राचीन रोम में खान-पान, सरकस और पुरुषों के साथ पशुओं का द्वंद्व युद्ध भी मनोरंजन की श्रेणी में आता था। बुल फाइटिंग स्पेनवासियों का प्रमुख मनोरंजन का साधन था। भारत में नाटक, कठपुतलियों, कविताओं से मनोरंजन किया जाता था। शतरंज, ताश, तीतर और बटर की लड़ाई भी मनोरंजन के साधन थे। सांग-नौटंकी से लोग मनोरंजन | किया करते थे। मेले में आना-जाना भी मनोरनज का साधन था।
धीरे-धीरे मनोरजन के साधनों का विकास हुआ। रेडियो मनोरंजन की दुनिया में कारगर साबित हुआ। सिनेमा देश के एक वर्ग का बडा मनोरंजन का साधन बना। 1959 में टीवी का आगाज हुआ। आज तक टीवी भारतीयों का मनोरंजन कर रहा है। | टीवी के साथ ही अब इंटरनेट मनोरंजन का साधन बना है। कंप्यूटर और मोबाइल इंटरनेट से मनोरंजन कर रहे हैं।
वस्तुत: मनोरंजन के साधन असीम हैं। मनोरंजन के पारम्परिक साधन भी हैं और विज्ञान की प्रगति से उद्भुत साधन भी। |जीवन की आवश्यक सुविधाओं को जुटाने में व्यक्ति का मन घुटता जा रहा है। ऐसे में जब हम जीवन से ऊब जाते हैं तब मनोरंजन