मकर संक्रांति (Makar Sankranti)
मकर संक्रान्ति पर्व धन-धान्य का पर्व है। इसीलिए यह हर वर्ष 14 जनवरी को पूरे देश में बड़े उत्साह व उमंग से मनाया जाता है। सूर्य छः माह दक्षिणायन रहने के पश्चात् जब उत्तरायण में आते हैं तो सर्दी की लंबी रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं।
यह परिवर्तन का समय केवल ऋतुओं के लिए ही नहीं होता, फसलों के लिए भी होता है। खरीफ की फसल कट चुकी होती है या कटने को तैयार होती है। नया धान किसान के घर में आता है, उसके लिए सुख और समृद्धि का समय होता है। इसीलिए यह धन-धान्य का पर्व माना जाता है। इसके अलावा मांगलिक कार्यों के लिए भी सूर्य का उत्तरायण आना शुभ माना जाता है।
आज के दिन ब्राह्मणों को दान दिया जाता है। गोमाता को चारा डाला जाता है। इस दिन तिल, गुड़, चावल, दाल, फल का दान अधिक फलदायक होता है। पवित्र सरोवर व नदियों में नहाने का भी महत्व होता है। मकर संक्रांति पर्व का महत्व मत्स्य पुराण में उल्लिखित है।
यह पर्व अलग-अलग प्रान्तों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। बंगाल में ‘तिलुआ संक्रांति’, पंजाब में ‘लोहड़ी’, महाराष्ट्र में ‘तिल गुड्धयाँ’, तमिलनाडु में ‘पोंगल’ व असम में ‘माद्य विहू’ नाम से इस पर्व को मनाया जाता है। शेष भारत में मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाता है ।
हमारा देश कृषि प्रधान देश है। इसीलिए यहाँ कृषि से जुड़ा पर्व होने के कारण इसे अधिक महत्व दिया जाता है। धान का आगमन होता है। उसके स्वागत के लिए घरों के आँगन में मांडने और अल्पनाएँ बनाई जाती हैं। सफेद-काले तिलों के पकवान बनाए जाते हैं। पूजा-अर्चना की जाती है। ब्राह्मणों व बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है। इस दिन सफेद तिल के दान का बहुत महत्व माना जाता है। तिल की उत्पत्ति ब्रह्मा के रोम से हुई मानी जाती है इसीलिए तिल हर शुभ कार्य, हवन-यज्ञ आदि में काम में लिया जाता है।
यह दिन सूर्य आराधना का पर्व है। सूर्य अन्न का स्वामी है। वह कल्याणदाता है, ऊर्जा देता है। सूर्य की उपासना हमें शक्तिवान बनाती है। तेजोमय बनाती है। सूर्य का प्रकाश हमें सद्मार्ग पर चलने का संदेश देता है।
यह पर्व धार्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही राष्ट्रीय व भावनात्मक एकता का भी पर्व है। पूरे देश की समृद्धि के लिए ईश्वर की आराधना का पर्व भी है। इस पावन दिन को, इस आशा का नया संचार करने वाले पर्व को बच्चे पूरे उत्साह और उमंग से मनाएँ। कृषि के महत्व और भावनात्मक एकता के महत्व को समझें ।
कैसे मनाएँ मकर संक्रांति (How to celebrate Makar Sankranti)
- विद्यालय प्रांगण में मांडने बनाए जाएँ। अल्पनाएँ बनाई जाएँ।
- मुख्य द्वार को फूलों व हरियाली से सजाएँ।
- अल्पना मांडनों की प्रतियोगिता करें।
- बच्चों को विभिन्न प्रकार के अन्न व धान के बारे में जानकारी दी जाए।
- यह उत्साह व उमंग का पर्व है अतः नृत्य-गायन का आयोजन किया जाए।
- पोंगल, लोहड़ी, विहू आदि का सम्बन्धित प्रान्तों में क्या महत्व है और इन्हें कैसे मनाया जाता है, बच्चों को बताया जाए।
- बच्चों को मकर संक्रांति का महत्व भी बताया जाए।