महिला सशक्तीकरण
Mahila Sashaktikaran
यह सच है कि यह दुनिया पुरुषों की बनाई हुई है। इसलिए यहाँ पुरुषों की चलती है। स्त्रियाँ पुरुषों की मनमानी झेलती हैं। यह उनके साथ अन्याय है। महिला की स्थिति सुधरनी चाहिए। उसे पुरुषों के बराबर सम्मान मिलना चाहिए। दूसरे शब्दों में, उसे सशक्त करना चाहिए। महिला को सशक्त करना ही महिला सशक्तीकरण है। प्रश्न है कि महिला को सशक्त कैसे किया जाए? यदि वह अपने आप लड़ सकती तो अवश्य लड़ लेती और पुरुषों से अपने अधिकार ले लेती। परंतु उसके पास विध्वंस की शक्ति उतनी नहीं है जितनी कि निर्माण की। इसलिए उसे अधिकार देने होंगे। समाज के समझदार लोगों को उसके हित में कानून बनाने होंगे ताकि उसे अपनी बात कहने का अवसर मिल सके। महिला की पीड़ा को महिला ही जानती है। अतः देश की संसद में, विधानसभा में, कानून बनाने में, पुलिस में सरकार में, न्याय व्यवस्था में उसे प्रतिनिधित्व देना होगा। उसे पुरुषों की भांति पढ़ने-लिखने के अधिकार और सुविधाएँ देनी होंगी। जब से संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलने लगा है, उनकी स्थिति में सुधार आने लगा है। यह तब तक करना होगा जब तक कि समाज में पुरुष और स्त्री को बराबरी का स्थान न मिले।