महिला दिवस (Mahila Diwas)
8 मार्च, 1907 का दिन एक ऐतिहासिक दिन था। एक ऐसा दिन जिस दिन महिला के अधिकारों और समानता की खातिर किसी महिला ने एक दीप जलाया। महिला का समाज व परिवार में महत्व उजागर करने वाली दो महिलाएँ थीं। जर्मनी की प्रसिद्ध नेत्री क्लारा जैटथीन और भीखाजीकामा जिन्हें भारतीय तिरंगे झंडे की जननी होने का भी सौभाग्य प्राप्त है। इस दिन अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की नींव रखी गई। फिर सन् 1910 में कोपनहेगन में 17 देशों की विशिष्ट महिलाएँ इकट्ठी हुई। यहाँ युद्ध के खिलाफ दस लाख हस्ताक्षर इकट्ठे कर विरोध प्रकट किया गया था।
फिर 8 मार्च, सन् 1916 में चीन में वहाँ की महिलाओं ने महिला के अधिकार और समानता की माँग को लेकर सशक्त प्रदर्शन किया। धीरे-धीरे एक वातावरण बनने लगा। अन्य अनेक संस्थाएँ महिला सशक्तीकरण के समर्थन में एकजुट होने लगीं।
इस दिशा में निरंतर प्रयासों से महिलाओं में अपने हक और अधिकार के प्रति जागृति आई । देश-विदेश की सरकारों में महिलाओं को महत्व दिया जाने लगा। बड़े उच्च पदों तक महिलाएँ पहुँचने लगीं। हमारे देश में भी लोकसभा, राज्यसभा, मंत्री परिषदों, राज्य के गवर्नरों के पद तक महिलाओं ने अपनी पहुँच बनाई। आज हमारे देश के उच्चतम पद राष्ट्रपति के पद को श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने सुशोभित किया है। अन्य देशों में भी महिलाएँ सर्वोच्च पदों पर पहुँची हैं।
यह सब महिला विकास का प्रारंभ है। अभी इस दिशा में बहुत कुछ करना शेष है। महिलाओं को अंधविश्वास के दायरे में से बाहर आना है। शिक्षित होना है। पुरुष व समाज के अत्याचारों का सामना करने की शक्ति जुटानी है। समाज और पुरुष के शोषण से मुक्त होना है। पढ़-लिखकर परिवार व समाज के प्रति नारी को अपने दायित्व को निभाना है।
देश को बेहतर नागरिक एक महिला दे सकती है। सुनागरिक एक श्रेष्ठ समाज और महान देश के निर्माण की नींव बन सकते हैं। स्त्री में स्त्री का सम्मान करने की भावना को प्रबल आधार देना है ताकि लड़के और लड़की का भेद मिट सके । कन्या भ्रूण हत्या जैसा महापाप रुक सके। वैदिक काल में नारी को काफी सम्मान दिया जाता था। फिर मध्यकाल में नारी को प्रतिबन्धों और वर्जनाओं में जीवन जीना पड़ा। आज भी कई घर, परिवार व समाज में नारी प्रताड़ित जीवन जी रही है।
केवल एक दिन के महिला दिवस से नारी की विपरीत स्थितियों को, उसके नारकीय व शोषित, उपेक्षित जीवन को नहीं सुधारा जा सकता। एक सशक्त आंदोलन की जरूरत है।
कैसे मनाएँ महिला दिवस (How to celebrate Women’s Day)
- महिला दिवस कब, क्यों शुरू हुआ, किसने शुरू किया: इसकी प्रतियोगिता व महत्व सहित इसके उद्देश्य बच्चों को बताए जाएँ।
- हमारे देश की महान महिलाओं के बारे में बच्चों को बोलने का अवसर दिया जाए।
- मेरी नजरों में- मेरी माँ / मेरी बहन/मेरी टीचर, इन विषयों पर बच्चों के विचार जानें।
- विद्यालय के कुछ छात्रों की माताओं को आयोजन बुलाया जाए, उनके विचार इस विषय पर जानें, कि बेटा हो तो ऐसा।
- इसी प्रकार बच्चों से कहा जाए कि वे बताएँ उनकी माँ उनको प्रिय क्यों है?
- महिला की महिमा गाने वाले गीत-कविताएँ रखें।
- महिला विकास के लिए महिला का शिक्षित होना जरूरी है, इस विषय पर प्रेरणादायक उद्बोधन का आयोजन किया जाए।