महानगरों में प्रदूषण की समस्या
Mahanagro me Pradushan ki Samasya
गाँवों की अपेक्षा शहरों में प्रदूषण की समस्या ज्यादा सामने आ रही है। इसका एक कारण शहरों में लगातार बढ़ रहे वाहनों की संख्या है। वाहन वायु प्रदूषण फैला रहे हैं साथ ही ध्वनि प्रदूषण भी। वायु प्रदूषण अगर हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है तो ध्वनि प्रदूषण हमें बहरा बना रहा है। वायु प्रदूषण उन कारखानों से फैल रहा है जो चिमनियों से परे हैं। वृक्षों को लगातार काटा जा रहा है। इससे हरियाली दिन-प्रतिदिन खत्म होती जा रही है। हरियाली शहर से प्रदूषण खत्म करने में एक अच्छी भूमिका निभाती है पर स्वार्थी वर्ग ज्यादा जमीन हथियाने और उन पर गगनचुंबी इमारतों के निर्माण के चक्कर में हरियाली खत्म करता जा रहा है। इससे महानगरों का प्रदूषण खत्म होने के बजाय बढ़ रहा है। कारखानों से निकलने वाला कचरा और घरों से निकलने वाला गंदा पानी नालों के जरिए नदियों में गिर रहा है। इससे जल प्रदूषित हो रहा है। हम गंदा पानी पीकर नित्य नए रोगों से ग्रस्त होते जा रहे हैं। इससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।
आज से तीस साल पहले जमुना में निर्मल पानी बहता था लेकिन आज यह काला हो गया है। लोग विषैला पानी पीने को मजबूर हैं। इस समस्या से हम शहरवासी ही निपट सकते हैं। गंदा पानी न करें, सी.एन.जी. के वाहनों में सफर करें, वृक्षों को ज्यादा से ज्यादा लगाएँ, उन्हें काटने वालों के सामने तुरंत ढाल बन जाएँ। कल कारखानों से दूर आबादी बसाएँ और ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए जरूरी हिदायतों का पालन करें।