Madirapan Ek Samajik Kalank “मदिरापान-एक सामाजिक कलंक” Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph, Nibandh for Class 8, 9, 10, 12 Students.

मदिरापान-एक सामाजिक कलंक

Madirapan Ek Samajik Kalank

किसी विद्वान का कथन है-जहाँ शैतान स्वयं नहीं पहुँच सकता, वहाँ मदिरा को भेज देता है। जब मदिरा भीतर जाता है तो हमारे सारे संस्कार, विचार, सद्भाव बाहर निकल जाते हैं। मदिरा का सीधा और पहला हमला स्वयं पीने वाले पर होता है। उसकी नसें, फेफड़े, गुर्दे और अन्य अंग शिथिल होने लगते हैं। दुर्भाग्य से डाइवर शराब पी ले तो कहीं भी दुर्घटना कर सकता है। शराब पीने से शराबी के घर में क्लेश रहता है। उसके पत्नी-बच्चे भूखे रहते हैं। मार-पीट, गाली-गलौच शराबियों के राज के काम हैं। मदिरापान करने वाले लोग अपने पक्ष में तर्क देते हुए कहते हैं-इससे थकान दूर होती है, तनावों से मुक्ति मिलती है, तथा ध्यान केंद्रित होता है। मदिरा के पक्ष में दिए गए ये सब तर्क खोखले, लचर और मिथ्या हैं। जिस शराब से पैर लड़खड़ाते हैं, हाथ टिकते नहीं, उससे ध्यान कैसे केंद्रित होगा? मदिरापान समाप्त करने का सर्वोत्तम उपाय आत्म-नियंत्रण है। शासन और कानून द्वारा शराब-बंदी की जानी चाहिए।

 

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