लोकतंत्र में चुनावों का महत्त्व
Loktantra me Chunavo ka Mahatva
शासन की आज तक दो ही विधियाँ विख्यात रही हैं लोकतंत्र और राजतंत्र। राजतंत्र का अर्थ है वह शासन जहाँ राजा सर्वोपरि होता है। वहाँ जनता का शासन नहीं होता, राजा का शासन होता है। राजा जनता के बीच से नहीं चुना जाता। वह वंश के अनुसार होता है। राजा का पुत्र राजा, फिर पुत्र का पुत्र राजा आदि, लेकिन लोकतंत्र का अर्थ है जनता का शासन। इस पद्धति में देश का शासन जनता संचालित करती है इसलिए इसे लोकतंत्र कहा जाता है।
विश्व में बहुत समय तक राजतंत्र रहा। इसमें क्योंकि राजा की हो चलती थी जनता उसके पूरी तरह अधीन होती थी इसलिए इस तंत्र के लिखाफ बगावत शुरू हुई और धीरे-धीरे जनता ने इससे मुक्ति प्राप्त करनी आरम्भ की। एक स्थिति यह हो गई कि राजतंत्र कुछ ही देशों में रह गया और लोकतंत्र विश्व के अनेक देशों में स्थापित हो गया। लोकतंत्र और प्रजातंत्र प्रणाली विश्व की श्रेष्ठ प्रणाली है। इस प्रणाली को जनता, जनता के हित के लिए जनता की सरकार का चुनाव करती है। यह सरकार जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की ओर से चलाई जाती है। प्रजातंत्रीय सरकार का जनता के द्वारा चुनाव होता है। भारत में हर पाँच साल बाद सरकार का चुनाव होता है।
यों तो देश स्वतंत्र होने से पूर्व भी भारत में अंग्रेजी सरकार के दौरान चुनाव होने शुरू हो गए थे। पर भारत में स्वतंत्रता के बाद पहला चुनाव 1952 में हुआ। पहले चुनाव में भारतीयों ने स्वतंत्र रूप से अपने प्रतिनिधियों का चुनाव किया था। यद्यपि उस समय भारतीयों की अधिक संख्या निरक्षरों की थी पर तब भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। क्योंकि उस समय लोगों को मानसिकता में कांग्रेस थी। वे यह मानते थे कि देश को स्वतंत्र कराने में कांग्रेस ने बड़ी भूमिका निभाई थी इसलिए कांग्रेस चुनाव जीती थी और भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बने थे। कांग्रेस का यह प्रभाव भारत में 1967 तक रहा। 1967 में कांग्रेस की नीतियों में जनता को कमी नजर आई तो उसे राष्ट्रीय स्तर पर कई राज्यों में नुकसान उठाना पड़ा। 1975 में कांग्रेस ने आपात्कालीन स्थिति लगाई जिसके कारण कांग्रेस की लोकप्रियता कम हुई। सन् 1977 में इस बार कई दलों ने गठित होकर ‘जनता पार्टी’ के नाम से चुनाव लड़ा। कांग्रेस हारी और जनता सरकार चुन कर आई। भारत के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बने। 1980 के चुनावों में इंदिरा गाँधी चुनाव जीती। 1984 में इंदिरा जी की हत्या हो गई।
चुनाव हुए तो कांग्रेस जीती और इस बार राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। इस काल में कई घोटाले सामने आए। 1989 में वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। इस बार नया जनता दल बनाकर चुनाव लड़ा गया था। पर यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। 1991 में राजीव जी की हत्या हो गई। यह समय चुनाव प्रचार का था। राजीव जी की हत्या के कारण कांग्रेस को सहानभति के बोट मिले। कांग्रेस चुनाव जीती और नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने। देश में राजनेता एक से एक घोटाले कर रहे थे। कांग्रेस फिर चुनाव हारी और इस बार संयुक्त मोर्चा ने चुनाव जीता। एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने। सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाई। नेताओं ने दल-बदल कर लिया, सरकार गिर पड़ी। 1998 में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाई। प्रधानमंत्री बने श्री अटल बिहारी वाजपयी। यह 17-18 दलों की सरकार थी। प्रत्येक दल उचित अनुचित मांग करता रहा, सरकार चली पर भगवान भरोसे।