Library “पुस्तकालय” Hindi Essay 500 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

पुस्तकालय

Library 

पुस्तकालय शब्द पुस्तक+आलय दो शब्दों से मिलकर बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है पुस्तकों का घर-या वह स्थान जहां पर काफी मात्रा में पुस्तकें रखी जाती हैं। आज के युग में पुस्तकें हमारे जीवन का अंग बन चुकी हैं लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं कि वह प्रत्येक पुस्तक को खरीदें। आजकल पुस्तकें बहुत महंगी है अतः हमें पुस्तकालय की शरण लेनी पड़ती है।

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं. जैसे निजी, सार्वजनिक, चलते-फिरते तथा संस्थागत पुस्तकालय। धनवान व्यक्ति अपने उपयोग के लिए घर पर ही पुस्तकालय बना लेते हैं। ये व्यक्तिगत पुस्तकालय कहलाते हैं। दूसरे प्रकार के पुस्तकालय विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में विद्यमान होते हैं। ये पुस्तकालय संस्थागत पुस्तकालय कहलाते हैं। तीसरे प्रकार के पुस्तकालयों का संचालन सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा होता है। ये सार्वजनिक पुस्तकालय कहलाते हैं। आजकल चलते-फिरते पुस्तकालयों का महत्व भी कम नहीं है। लेकिन इस प्रकार के पुस्तकालय कम दिखाई देते हैं। ये मोटरों या गाड़ियों में बनाए जाते हैं। जिन्हें चलते-फिरते पुस्तकालय के नाम से जाना जाता है।

पुस्तकालय से अनेक लाभ हैं। ये ज्ञान का भंडार हैं। पुस्तकालय एक ऐसी गंगा है, जहां से निर्मल धारा सततः बहती रहती है। एक ही स्थान पर विभिन्न ध मों, भाषाओं, विषयों, वैज्ञानिकों, आविष्कारों, ऐतिहासिक तथ्यों से संबंधित पुस्तके केवल पुस्तकालय में ही उपलब्ध हो सकती हैं। पुस्तकालय का कार्य पाठकों के उपयोग के लिए सभी प्रकार की पुस्तकों का संग्रह करना है। पाठकों की रूचि व आवश्यकताओं को देखते हुए पुस्तकालय अधिकारी देश-विदेश में मुद्रित पुस्तकें प्राप्त करने में सुविधा के लिए पुस्तकों की एक सूची तैयार करते हैं। पाठकों को पुस्तकें प्राप्त कराने के लिए एक कर्मचारी नियुक्त किया जाता है। पुस्तकालय में पाठकों के पढ़ने के लिए भी पुस्तकें दी जाती हैं। इनके लिए एक निश्चित धन देकर पुस्तकालय की सदस्यता प्राप्त करनी होती है। पुस्तकालय में पढ़ने के लिए पत्रिकाएँ भी होती हैं। विद्यालय, महाविद्यालय आदि के पुस्तकालयों से केवल उनमें पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को ही पुस्तकें प्राप्त होती।

पुस्तकालय का अध्ययन करते हुए हमें कछ नियमों का पालन करना पड़ता है। वहां जाकर हमें शांत रहना चाहिए, यहाँ की पुस्तकों को बरबाद नही करना चाहिए, यहाँ की पुस्तकों बरबाद नहीं करना चाहिए। पुस्तकें समय पर लौटानी चाहिए तथा उनके पृष्ठों को गंदा नहीं करना चाहिए। पुस्तकें जहां से निकाली हैं, अध्ययनोपरांत पुस्तक वहीं रख दी जानी चाहिए।

हमारे देश में अनेक पुस्तकालय हैं, फिर भी उच्च कोटि के साहित्य का अभाव है। सरकार को चाहिए कि बडी संख्या में पुस्तकालय खोले। इस संबंध में गैरसरकारी संस्थाएं भी अपना सहयोग दे सकती हैं। निर्धनता, अशिक्षा, अधि भारयों की उपेक्षा आदि के कारण हमारे देश में पुस्तकालयों की हीन दशा है।

छात्रों के लिए पुस्तकालय का विशेष महत्व है। अच्छे पुस्तकालय राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोकमान्य तिलक ठीक ही कहा करते थे कि- मैं नरक में उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूंगा, क्योंकि पुस्तकें जहाँ होंगी, वहीं स्वर्ग आ जाएगा। आजकल छात्र संघ पुस्तकालय का प्रयोग कम करते हैं। विश्वकोपों, शब्दकोषों के माध्यम से छात्र, विश्व की समस्त वस्तुओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आज के युग में पुस्तकों का स्थान कम्प्यूटर उसकी फ्लापियां लेती जा रही है परंतु जो आनन्द पढ़ने में आता है, वो उँगलियाँ चलाकर स्क्रीन पर देखने से प्राप्त नहीं हो सकता।

Leave a Reply