लड़कियों की घटती जनसंख्या
Ladkiyo Ki Ghatati Jansankya
मानव सभ्यता में लड़का-लड़की का एक समान योगदान है। दोनों लिंगों के संसर्ग से मानव सृष्टि का निर्माण हुआ है। एक के अभाव से दूसरा अधूरा है। स्त्री-पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं। नर के अभाव में नारी का जीवन अधूरा है। इसी तरह नारी के अभाव में नर का जीवन अपूर्ण है। यह जानते हुए भी देश में ऐसे अनेक राज्य हैं जहाँ लगातार लड़कियों की संख्या घट रही है। ऐसे राज्यों में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि हैं। इन राज्यों में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की संख्या 15 से 20 फीसद तक कम हो चुकी है। हरियाणा और पंजाब की हालत तो यह है कि वहाँ वर पक्ष को बहू नहीं मिल पा रही है। हरियाणा का एक गाँव तो ऐसा है जहाँ एक भी लडका शादीशुदा नहीं है। घटती लड़कियों के पीछे समाज की गलत सोच है। अनेक लोगों को जब पता चलता है कि गर्भ में लड़की पल रही है तो भ्रूण गिरा देते हैं। इस काम में बहुत-से डॉक्टर लालचवश सहयोग देते हैं। वे अवैध लिंग परीक्षण करते हैं। जब माता-पिता को कन्या होने का पता चलता है तो उसकी हत्या करवा देते हैं। विडंबना तो यह है कि अनेक शिक्षित और धनी भी इस अपराध में शामिल है। मध्यवर्गीय परिवार इसलिए लड़की नहीं चाहता क्योंकि उसकी शादी में दहेज देना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में ये लड़की का पता लगने पर उसे मृत्यु को समर्पित कर देते हैं। कुछ तो ऐसे हैं जो लड़की का पता लगने पर अपने जिगर के अंश को उसे अपने हाल पर छोड़कर चले आते हैं। पहले भारत में ‘दूध पीती’ प्रथा प्रचलित थी। इस प्रथा के अनुसार कन्या के पैदा होने पर उसे तत्काल दूध में डुबोकर मार दिया जाता था। जब कई दंड की व्यवस्था हुई तब जाकर यह कुप्रथा रुकी। अभी भी भ्रूण हत्या पर कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है। पूण हत्या के आरोपियों को उस कैद की सजा तय होनी चाहिए।