किसी फिल्म की समीक्षा
Kisi Film ki Samiksha
अगर किसी साइको थ्रिलर मुवी में साइको थोड़ा कम हो तो भी थ्रिल नाव पार लगा देता है. लेकिन अगर किसी साइको थ्रिलर फिल्म में थ्रिल ही गायब कर दिया जाए तो सारा मजा गायब हो जाता है। मनोज वाजपेयी और तब्बू की ‘मिसिंग’ से थिल मिसिंग है। इसलिए यह फिल्म अपना मकसद पूरा करने में कामयाब नहीं हुई है। यह कहानी सुशांत दुबे (मनोज वाजपेयी) और अपर्णा (तब्बू) की है। सुशांत रियूनिवन (हिंद महासागर में एक द्वीपः जो फ्रांस का क्षेत्र है) का निवासी है। एक रात वह अपर्णा तथा तीन साल के बेटी तितली को लेकर कूज से मॉरीशस की राजधानी पाट लुइस आता है। सुशांत वहाँ एक खबसरत रिसॉर्ट में दो कमरों का स्वीट बुक कराता है। सुबह जब अपर्णा जगती है तो पाता है कि तितली गायब है। वह सशांत को बताती है। दोनों तितली को आस-पास खोजते हैं। लेकिन वह नहीं मिलती। वे रिसॉर्ट के स्टाफ को यह बात बताते हैं। अपर्णा अपनी बेटी तितली को खोजने के लिए पुलिस की मदद लेना चाहती है। लेकिन सुशांत इसके लिए मना कर देता है। वह उसे खद खोजने की बात कहता है। बहुत देर तक तितली नहीं मिलती। तब अपर्णा बहुत चिन्तित हो जाती है और पुलिस को फोन करती है। मामले की जाँच करने के लिए पुलिस के काबिल और सख्त अफसर रामखेलावन बुद्ध (अन्न कपूर) अपनी टीम के साथ रिसॉर्ट पहँचते हैं। लेकिन मामला सुलझने के बजाय और उलझ जाता है। रामखेलावन को लगता है कि कहीं कुछ अस्वाभाविक है। लेकिन वह समझ नहीं पाते कि आखिर क्या गड़बड़ है। जब तक उन्हें कुछ पता लगता है तब तक सशांत और अपर्णा रिसॉर्ट से भागकर जंगल चले जाते हैं। कहानी का प्लाट अच्छा है पर इस आइडिया को अच्छी तरह विकसित नहीं किया गया है। निर्देशक मुकुल अभयंकर इसे सही तरीके से निर्देशित नहीं कर पाए। एक साइको थ्रिलर फ़िल्म में जो रोमांच होना चाहिए, जो बैंक ग्रांउड संगीत होना चाहिए. वह इसमें नहीं है। सारी चीजें एकदम सपाट चलती हैं। एक बंधे-बंधाए ढर्रे पर चलती हैं। फ़िल्म उबाती तो नहीं। है लेकिन मज़ा भी नहीं देती। ऐसी फ़िल्मों में पटकथा, बैक ग्राउंड संगीत और कलाकरों का अभिनय हाई प्वाइंट होता है। लेकिन इसकी पटकथा इतनी ढीली है कि बैंक ग्रांउड संगीत बेअसर है। जहाँ तक अभिनय की बात है तो फिल्म की कास्ट अच्छी है, मनोज वाजपेयी का अभिनय दमदार है। वह एक बेहतरीन कलाकार है। लेकिन कई बार वे ‘मेथड एक्टिंग’ के चक्कर में पड़ जाते हैं, जिसके कारण फिल्म अस्वाभाविक होती चली जाती है। तब्बू के किरदार में कई परते हैं। उन्होंने उसे ठीक से निभाया भी है। लेकिन उनके अभिनय में ताज़गी की कमी दिखाई देती है। पुलिस अधिकारी के रूप में अन्नू कपूर का काम भी ठीक है पर कई जगह ओवर एक्टिंग करते हैं। बाकी के किरदारों ने अपनी-अपनी भूमिका सही निभाई है। मुकल अभयंकर का निर्देशन असरदार नहीं है। लेकिन फिलम की सिनेमेटाग्राफी अवश्य प्रभावित करती है। मिसिंग फिल्म का निर्देशन मुकुल अभयंकर ने किया है। मनोज वाजपेयी, तब्बू, अन्नू कपूर मुख्य कलाकार हैं। निर्माता मनोज वाजपेयी हैं। संगीत एम. एम. क्रीम का है।