किसानों की समस्याएँ
Kisano Ki Samasyayen
भारत चाहे औद्योगिक दृष्टि से कितना ही तेजी से प्रगति कर रहा है पर यह आज भी कृषिप्रधान देश है। इस देश की अस्सी फीसद जनता आज भी खेती पर निर्भर है। जब भी चुनाव होते हैं जनता के कथित । नेता बार-बार जनता से यह वादा करते हैं कि अगर हमारी सरकार आई तो किसानों के हित में खड़ी रहेगी पर वादे, वादेरह जाते हैं। किसान इसी तरह शोषित होता रहता है। किसान हमारा अन्नदाता है पर देश की सरकार उसका कतई ध्यान नहीं रखती। किसान गन्ना बोते हैं, मिलों में पहुंचाते हैं पर उन्हें न तो उचित मूल्य मिलता है और न ही समय पर पैसा मिलता है। उन्हें समय पर सही, अच्छा बीज नहीं मिलता। आँधी-बरसात में फसल बरबाद हो जाती है तो उसकी भरपाई नहीं। खाद तक नहीं मिलती। शहरों के आसपास के गाँव थोडी बहुत मदद पा भी जाते हैं पर दूरदराज के ग्रामीणों को तो वह भी मयस्सर नहीं होती। महाजनों व बैंकों से वे कर्ज लेते हैं ताकि फसल पर उतार सके। फसल नहीं हुई या प्राकृतिक आपदा के कारण बरबाद हो गई तो उनके पास सिवाय आत्महत्या के कोई उपाय नहीं। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के किसानों की दशा दयनीय है। महाजनों के चंगुल में इस कदर फंसे हैं कि मरने के बाद छूटेंगे। सरकार को किसानों की दयनीय दशा को सुधारना होगा। कहा जाता है कि केंद्र की सरकार फसल बीमा योजना ला रही है। उसका लाभ होगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा।