कन्या भ्रूण हत्या
Kanya Bhrun Hatya
पुत्र की लालसा में आज बहुत से परिवार भ्रूण हत्या कर रहे हैं। हालांकि पुत्र की कामना सदियों से भारतीय समाज में रही है। कहा जाता है कि कुछ प्रदेशों में तो कन्या को जन्म देते ही मार दिया जाता था। यह सब इसलिए है क्योंकि भारत समाज में कन्याओं के प्रति भेद-भाव किया जाता है और पुत्र को वंश का वंशधर माना जाता है। आज वस्तुत: लिंग परीक्षण की सुविधाएँ बढ़ गई हैं इसलिए भ्रूण हत्याएँ अधिक हो रही हैं। जैसे ही पता चलता है कि जन्म लेने वाला मेहमान पुत्र न होकर पुत्री है. तत्काल गर्भपात करवा दिया जाता है। यद्यपि सरकार भ्रूण हत्या पर सख्त है।
हर अस्पताल में लिंग जाँच पर कड़ा प्रतिबंध है फिर भी निजी और सरकारी अस्पताल के कुल कर्मचारी लोभ में आकर इस तरह का पृणित कर्म करने से बाज नहीं आते। क्या कन्या को जन्म लेने का इस संसार में अधिकार नहीं है? अगर कन्याएँ ही जन्म नहीं लेंगी तो वह किस तरह माँ बनेंगी और पत्र को जन्म देंगी? बढ़ती धूण हत्याओं का समाज को यह दण्ड भोगना पड़ रहा है कि लड़कों के अनुपात में लड़कियों कम जन्म ले रही है। पुरुषों के लिए विवाह के लिए दुल्हनों का अकाल पड़ रहा है। सरकार को निजी अस्पतालों पर औचक निरीक्षण करना चाहिए और ऐसे डॉक्टरों को रंगे हाथ पकड़कर न केवल लाइसेंस कैसिल कराना चाहिए अपितु उचित सजा भी दिलानी चाहिए।