के. एम. बीनामोल
K M Beenamol
जन्म : 15 अगस्त, 1975 जन्मस्थान : कम्बोडिंजल (केरल)
के. एम. बीनामोल का नाम तब चर्चा में आया, जब उसने अक्तूबर 2009 में होने वाले बुसान एशियाई खेलों में 2 स्वर्ण व एक रजत पदक जीता। बीनामोल ने 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। इसके अतिरिक्त 400 मीटर की रिले दौड़ में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 4 x 400 मीटर की दौड़ में बीनामोल ने रजत पदक जीत कर खेल जगत में अपना नाम रोशन किया।
के. एम. बीनामोल केरल के इडुकी जिले के छोटे-से गाँव कम्बोडिंजल से है। वह मध्यम दर्जे के किसान परिवार से है। कम्बोडिजल गाँव की जिले में आदिमली। से 20 कि. मी. दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यहां अधिकांश लोग किसान हैं और मैदानी भागों से कुछ दशक पूर्व आकर बसे हैं। बीनामोल की मां का नाम कुंजम्मा है तथा पिता का नाम मैथ्यू है।
बीना ने बहुत छोटी-सी उम्र में खेलों में भाग लेना शुरू कर दिया था। जब वह पाराथोड हाई स्कूल में पढ़ती थी तब कोच राजू ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसकी प्रतिभा को कड़ी मेहनत व अभ्यास के द्वारा निखारने का प्रयास आरम्भ हो गया। 1990 से 1996 तक तिरूअनन्तपुरम के जी. वी. राजा स्पोर्ट्स स्कूल में वह कोच पुरुषोत्तमन से ट्रेनिंग लेती रही। | 1991 की राष्ट्रीय स्कूल मीट तथा 1992 की एशियन जूनियर मीट में भाग लेकर वह लोगों की नज़रों में आई। फिर उसने राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया और वर्ष 2000 में सिडनी ओलंपिक में जाने के लिये चुनी गई। वहां उसने सेमी फाइनल तक पहुंचने में सफलता हासिल की। जकार्ता में उसने स्प्रिंट क्वीन पी. टी. उषा का 400 मीटर का रिकार्ड तोड़ दिया। | उसके पश्चात् बुसान एशियाई खेलों में 2 स्वर्ण व एक रजत पदक जीतकर उसने ख्याति अर्जित की। बीनामोल की जीत पर पूरे गाँव में मिठाइयां बांटी गई,
के घर जाने वाली सड़क को लोग बीनामोल रोड कह कर पुकारने लगे हैं। इन्हीं शियाई खेलों में बीनामोल के भाई के. एम. बीनू ने भी 800 मीटर दौड़ में रजत पदक प्राप्त किया।
एशियाई खेलों के बाद बीनामोल को सेमसंग मोस्ट वैल्यूड परफॉर्मेस पुरस्कार के लिए चुना गया और उसे इसके पुरस्कारस्वरूप सैमसंग उत्पादों की पूरी रेंज दी गई। इस पुरस्कार के लिए बीनामोल का चयन बुसान एशियाई खेलों की कवरेज करने गए पांच पत्रकारों की जूरी ने किया था। 2004 में होने वाले एथेंस ओलंपिक से बीनामोल को बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन वह कोई स्थान नहीं पा सकी।
बीनामोल 2004 के एथेंस ओलंपिक में 4×400 मीटर रिले में थी। हीट में राजविंद कौर, चित्रा सोमेन, मंजीत कौर और के. एम. बीनामोल थीं। इन्होंने रिले हीट में जीत कर फाइनल में जगह बनाई। इस टीम ने यहां पर अन्त में सातवां स्थान प्राप्त किया, जबकि कोलंबो में यह टीम बारहवें स्थान पर थी।
बीनामोल के भाई के. एम. बीनू ने एथेंस में 400 मीटर में बेहतर दौड़ लगाई और सेमीफाइनल तक जा पहुंचे। वह एशिया से बाहर अपनी पहली दौड़ लगा रहे थे। बीनू ने मिल्खा सिंह का रिकार्ड भी तोड़ दिया। बीनामोल का पूरा नाम कल्याथुसुखी मैथ्यूज है, जिसे के. एम. बीनामोल नाम से जाना जाता है।
उपलब्धियां :
- 1991 में राष्ट्रीय स्कूल मीट में भाग लेकर वह चर्चा में आईं।
- 1992 की एशियाई जूनियर मीट में भाग लिया।
- 2000 में सिडनी ओलंपिक में जाने के लिए चुनी गईं। वहाँ उन्होंने सेमीफाइनल तक पहुँचने में सफलता प्राप्त की और पी. टी. उषा का 400 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
- 2002 में हुए बुसान एशियाई खेलों में बीनामोल ने 2 स्वर्ण तथा एक रजत पदक जीते।
- उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न परस्कार 2002-2003 के लिए प्रदान किया।