Jansankhya me Mahilao ka Girta Anupat “जनसंख्या में महिलाओं का गिरता अनुपात” Hindi Essay 250 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

जनसंख्या में महिलाओं का गिरता अनुपात

Jansankhya me Mahilao ka Girta Anupat

जनसंख्या पर अकुंश लगाने का एक नारा दिया जाता है लड़का-लड़की एक समान। यह उन माता-पिता के लिए धैर्य देने वाला नारा है जो अपनी संतान में लिंग-भेद बरतते हैं। होता यह है कि भारतीय समाज में लड़की को कम आदर मिलता है और लडके को अधिक। बल्कि बहुत-से परिवार लड़का ही चाहते हैं। वे लड़की चाहते ही नहीं हैं। ऐसे ही लोग महिलाओं की जनसंख्या में तेजी से गिरावट के जिम्मेदार माने जाते हैं। पिछले दिनों जो जनसंख्या गणना की गई है उसके आंकड़े बताते हैं कि करीब एक हजार लड़कों में लड़कियों की संख्या लड़कों की अपेक्षा पन्द्रह से बीस प्रतिशत तक कम है। यह अनुपात बढ़ता ही जा रहा है। अभिभावकों की सोच यह है कि लड़की उनके परिवार पर बोझ है। जब विवाह किया जाएगा तब यह घर का करीब-करीब दीवाला निकाल कर जाएगी और जब लड़के का विवाह होगा तब लड़का इस परिवार में दहेज लेकर आएगा। इस तरह की सोच के कारण ऐसे परिवार गर्भ परीक्षण करवा देते हैं। कई परिवार तो ऐसे हैं जो लड़के के चक्कर में पाँच-पाँच बार गर्भपात करवा चुके हैं। इन अभिभावकों को यह अहसास नहीं है कि अगर इस तरह लड़की को समाज में आने नहीं दिया गया तो लड़कों का विवाह किससे होगा?

यह सृष्टि बढ़ेगी कैसे? राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल पंजाब, बिहार के दूरदराज क्षेत्रों में ऐसी स्थिति आने लगी है कि लड़के को योग्य दुल्हन नहीं मिल पा रही है। योग्य तो छोड़िए लड़की नहीं मिल पा रही है। अगर इसी तरह जनगणना में महिलाओं । की संख्या कम होती गई तो एक दिन समाज में संतुलन बिगड जाएगा। ऐसे में सामाजिकों को संतुलन बनाकर चलना चाहिए।

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