जनसंख्या दिवस 11 जुलाई (Jansankhya Diwas 11 July)
आज भारत की जनसंख्या एक अरब अधिक हो गई है। जिस से तेजी से भारत की जनसंख्या बढ़ रही है उस तेजी से भारत में संसाधन नहीं बढ़ रहे। पानी का दोहन इतना अधिक हो रहा है कि पीने के पानी की हाय-हाय मची रहती है। धरती के भीतर की जल संपदा खत्म होती जा रही है। वन क्षेत्र घटते जा रहे हैं, हरियाली अपर्याप्त है अतः वर्षा का के अनुपात में नहीं बढ़ रही । संतुलन बिगड़ रहा है। कृषि की उपज बढ़ रही है पर जनसंख्या की वृद्धि
यह सही है कि जनसंख्या वृद्धि के बिना धरती का विकास संभव नहीं है। पर जनसंख्या वृद्धि इतनी बेकाबू नहीं होनी चाहिए कि हमारे संसाधन ही कम पड़ जाएँ। इस समस्या का समाधान केवल आवश्यक ही नहीं, अति महत्वपूर्ण है। अन्यथा ऐसी भयानक स्थिति देश में आ सकती है। कि पेट भर रोटी और दो घूँट पानी मुश्किल हो जाएगा। खाने वाले बढ़ते जाएँगे और खाद्य सामग्री उतनी नहीं बढ़ेगी तो निश्चय ही भूख का सहारा लेना पड़ेगा।
बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ रहने को मकान भी पर्याप्त नहीं हुए तो सभ्य देश के लोग वापस जंगलों में रहने को बाध्य हो जाएँगे।
स्वास्थ्य सेवाएँ अपर्याप्त होंगी तो बीमारियाँ अपने पैर पसारेंगी। भरपेट रोटी न मिलने से कमजोर शरीर कई गंभीर बीमारियों के घर बन जाएँगे।
कहने का तात्पर्य यह है कि देश के विकास और समृद्धि व खुशहाली का आनन्द तभी उठाया जा सकता है जब जनसंख्या वृद्धि एक निश्चित सीमा में हो। इसके लिए भारत सरकार करोड़ों रुपया ‘परिवार कल्याण’ अथवा ‘परिवार नियोजन’ पर खर्च करती है। इसके लिए एक सीमा रेखा भी निर्धारित की हुई है कि ‘बच्चे दो ही अच्छे’। अर्थात् एक पति-पत्नी केवल दो बच्चों को ही जन्म दें ताकि उनका लालन-पालन व शिक्षा सही ढंग से हो सके। जो परिवार इस सीमा का पालन करते हैं वे सुखी रहते हैं। जो लोग अनपढ़ हैं, अज्ञानी हैं वे किसी सीमा को नहीं मानते। उनके परिवार में बच्चे बढ़ते जाते हैं। अधिक बच्चे गरीबी की निशानी होते हैं।
लोगों को जनसंख्या वृद्धि की हानियाँ, मुश्किलें और कठिनाइयाँ बताने के लिए ही प्रति वर्ष 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन को एक महत्वपूर्ण दिन मानकर छोटे परिवार के लाभ जन-जन को बताए जाने चाहिए। जनसंख्या वृद्धि की भयावहता बताई जानी चाहिए। भविष्य में आने वाले अँधियारे से परिचित कराया जाना चाहिए। इस समस्या का हल शिक्षा का प्रसार ही है, पढ़-लिखकर लोग सीमित परिवार के महत्व को समझें।
कैसे मनाएँ जनसंख्या दिवस (How to celebrate population day)
- जनसंख्या नियन्त्रित करने की जरूरत क्यों है-बच्चों को समझाया जाए।
- ‘छोटे परिवार’ के क्या सुख और लाभ हैं, तो अधिक बच्चों के परिवार की क्या हानियाँ हैं, विषय पर विचारगोष्ठी आयोजित की जाए।
- जनसंख्या नियंत्रण विषय का महत्व बताने वाली नाटिका प्रस्तुत की जाए।
- जनसंख्या बढ़ती ही जाएगी तो धरती पर इससे कैसी स्थितियाँ पैदा हो जाएँगी-बच्चे रोचक-शिक्षाप्रद संवाद प्रस्तुत करें।
- ‘हम दो हमारे दो’ अर्थात् छोटे परिवार के लाभ बच्चों को बताए जाएँ।
- ‘बढ़ती जनसंख्या’ पर बच्चों में चित्र व कार्टून बनाने की प्रतियोगिता रखी जाए।
- ‘मैं और मेरा छोटा परिवार’ विषय पर भी बच्चे चित्र बना सकते हैं।
- जनसंख्या नियंत्रण विषय पर बच्चों की स्लोगन प्रतियोगिता रखी जाए।