इंटरनेट और विश्व गाँव की कल्पना
Internet aur Vishv Gaon ki Kalpna
आधुनिक युग में इंटरनेट दुनिया की सर्वाधिक सक्षम तकनीक है, जिसमें करोड़ों कम्प्यूटरों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान हो रहा है। इसकी कार्य पद्धति सरल है। कम्प्यूटर या लैपटॉप के माध्यम से टेलीफ़ोन लाइन या वायरलेस मॉडम से जोड़कर मनचाही सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं। विश्व के किसी भी कोने में इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटरों के बीच अति तीव्र रफ्तार से आँकड़ों का संप्रेषण, समाचार-संदेश, देश-विदेश के पुस्तकालयों के साथ संपर्क, इलेक्ट्रॉनिक मेल और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन आदि सरलता से किया जा सकता है। इंटरनेट पर भी अब किसी एक मात्र का नियंत्रण नहीं है। इसके माध्यम से चैटिंग (वार्तालाप) किया जा सकता है, जरूरी सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है। बाजारों और दुकानों पर नजर रखी जा सकती है, थोड़े शब्दों में कहा जाप तो इसका उपयोग असीमित है। वर्तमान समय में इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। संचार के इस विकसित साधन ने लोगों को जीवन-शैली, व्यवहार और संचार पूरी तरह प्रभावित किया है। एक समय था जब लोग सूचना पाने के लिए तरसते रहते थे, आज सूचनाओं की बाढ-सी आ गई है। लेकिन सकारात्मक प्रभाव के साथ-साथ संचार की इस तकनीक के नकारात्मक ख़तरे भी बढ़ते जा रहे हैं।
इंटरनेट का जन्म सन् 1979 में एक शैक्षिक नेटर्क यूजनेट-न्यूज के रूम में हुआ था। इसका पहला सार्वजनिक विस्तार सरकार्य नियंत्रण में हुआ। आठवें दशक के उत्तरार्द्ध में अमेरिकी सरकार ने ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन’ के माध्यम से पाँच सुपर कंप्यूटर की स्थापना की जो इंटरनेट के प्रमुख संयोजक बिंदु थे। इनके द्वारा कई विश्वविद्यालयों और अनुसन्धान प्रयोगशालाओं को परस्पर जोड़ा गया। अमेरिका में ही विकसित होकर इस प्रणाली ने सन् 1990 तक अपना वर्तमान स्वरूप बरकरार रखा। इस समय इटरनेट पर पूरे विश्व में दस लाख से ज्यादा वेवसाइट उपलब्ध हैं और प्रत्येक वेबसाइट किसी न किसी माध्यम से परस्पर जुड़ी है।
भारत में इंटरनेट की शुरुआत पन्द्रह साल पहले हुई। सबसे पहले सैनिक अनुसंधान नेटवर्क ने शैक्षणिक और अनुसंधान क्षेत्रों में इसका उपयोग किया। ‘इआरनेट’ भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक विभाग और ‘यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का संयुक्त उपक्रम था। भारत में इंटरनेट को काफी सफलता मिली। इसने अनेक नोडो का परिचालन शुरू कर दिया। लगभग आठ हजार से अधिक वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को ये सुविधाएँ प्राप्त होने लगीं। एन.एस.टी. मुंबई, दिल्ली, चैन्नई, कोलकाता, बंगलूरू और पुणे में इंटरनेट ने स्थापित किए गए। इसने अमेरिका, जापान, इटली आदि देशों की इंटरनेट कंपनियों से समझौता किया। देश के प्रमुख शहरों में भी इंटरनेट सुविधाएँ दी जाने लगी। इसके बाद दूरसंचार विभाग से मिलकर इसने देश के अन्य बड़े शहरों को भी इंटरनेट से जोड़ा। इसके बाद दूरसंचार विभाग ने आईनेट नामक नेटवर्क के द्वारा देश के दूर-दराज इलाकों को जोड़ा। इस समय भारत में अनेक सरकारी और गैरसरकारी एजेंसियाँ, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, इंटरनेट सुविधाएँ उपलब्ध कराने का काम कर रही है। इन कंपनियों में कुछ हैं-दूर संचार विभाग, महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड, विदेश संचार निगम। सन् 1991 की उदारीकरण की नीति ने इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश का भी रास्ता खोल दिया।
सरकार की ओर से बनाई गई इंटरनेट कई विदेशी और देशी कंपनियों जैसे रिलायंस, टाटा, सिफी आदि भारत में इंटरनेट सुविधाएँ । महैया करा रही हैं। इंटरनेट ग्राहकों की संख्या निरन्तर बढ़ रही हैं। इस समय देश में लगभग पचास लाख से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। वर्तमान युग में पत्रकारिता और इंटरनेट एक-दूसरे के पूरक हो गए हैं। समय की बचत और अनुवाद की सुविधा इंटरनेट का कमाल है। सुपरटेक सॉफ्टवेयर के बन जाने से पत्रकारिता और सरल हो गई है। इंटरनेट के कारण अब संवाददाताओं पर। कम निर्भर रहना पड़ रहा है। सच तो यह है कि इंटरनेट अब विश्वग्राम बन गया है।