प्रेशर कुकर
(गृहणी की रसोई का हिस्सा)
प्रेशर कुकर के विकास का काम सन् 1670 के दशक में रॉबर्ट बॉयल नामक वैज्ञानिक ने प्रारम्भ किया था। उन्होंने हवा के दबाव आदि पर काम किया तथा एयर पंप भी तैयार किया था। उन्होंने दुनिया को यह जानकारी दी कि किसी भी तरल पदार्थ के उबलने का तापमान हवा के दबाव पर निर्भर करता है। यदि हवा का दबाव कम होगा तो उबलना कम तापमान पर प्रारम्भ हो जाता है और यदि दबाव ज्यादा है तो यह ज्यादा तापमान परउबलता है।
आज प्रेशर कुकर हर गृहिणी की रसोई का हिस्सा है, पर इसके विकास में और लोगों द्वारा इसे स्वीकार किए जाने में काफी समय लगा। । रॉबर्ट बॉयल ने स्टीम डाइजेस्टर नाम का उपकरण बनाने का प्रयास किया, जो प्रेशर कुकर के सिद्धान्त पर ही आधारित था, पर वे उसे व्यावहारिक रूप नहीं दे पाए। | इसके सवा सौ साल से भी अधिक समय बाद सन् 1802 में ऑस्ट्रिया के एक वैज्ञानिक ने पहला काम चलाऊ प्रेशर कुकर तैयार किया। प्रारम्भ में उसे लोगों ने स्वीकार नहीं किया। बेचारे आविष्कारक ने अपने प्रेशर कुकर में तरह-तरह के व्यंजन बनाकर लोगों को मुफ्त दावतें खिलाई और समझाया कि इसमें हवा का ऊंचा दबाव बनाया जाता है तथा इसके अन्दर की भाप ज्यादा तापमान वाली होती है। इसलिए यह जल्दी व स्वादिष्ट भोजन तैयार कर देता है, जिसके पौष्टिक तत्व बरकरार रहते है।
इन महत्वों को समझने में लोगों को लगभग सौ वर्ष लग गए। बीसवीं सदी में प्रेशर कुकर खूब लोकप्रिय हो पाया।