टूथब्रश और टूथपेस्ट
Tooth Brush and Toothpaste
(दांतों के सफाई के लिए)
प्रातः उठते ही हमें टूथपेस्ट और) टूथब्रश की आवश्यकता पड़ती है। टूथब्रश का आविष्कार पंद्रहवीं सदी के अंत में चीनियों ने किया था। वे पहले इसमें जानवरों के बालों का इस्तेमाल करते थे। इसके साथ ही मंजन आदि का भी आविष्कार हो चुका था। हालांकि भारत में दातौन की प्रथा इसके बाद में भी चलती रही, पर पश्चिम में टूथब्रश का चलन अठारहवीं सदी में ही प्रारम्भ हो चुका था।
दरअसल हुआ यों कि सन् 1770 में विलियम आदिस नामक एक व्यक्ति इंग्लैंड की एक जेल में अपनी सजा काट रहा था। उसी दौरान उसने संकल्प किया कि सजा पूरी होने के पश्चात् वह ऐसी वस्तु तैयार करेगा जो लोकोपयोगी होगी।
उस समय अंग्रेज लोग राख व रेत जैसी चीजों से अपने दांत मांजा करते थे। आदिस के मस्तिष्क में एक विचार उठा। उसने हड्डी का एक टुकड़ा लिया और उसमें अत्यंत छोटे-छोटे सुराख किए। उसके बाद उसमें रेशे डालकर उन्हें गोंद से चिपका दिया। इस प्रकार यूरोप में पहली बार ब्रश तैयार किया गया।
जब आदिस कैद से रिहा हुआ तो उसने इस प्रकार के टूथब्रश के निर्माण के लिए फैक्ट्री लगाई। उसका व्यापार तेजी से चल निकला।
सन् 1892 में डॉ. वाशिंगटन नामक एक दंत-चिकित्सक ने एक धातु की टूथपेस्ट ट्यूब तैयार की। मंजन का प्रयोग सदी के प्रारम्भ तक चलता रहा और इस काल में टूथपेस्ट भी लोकप्रिय होता चला गया।