ड्रिंकिंग स्ट्रॉ
Drinking Straw
(शीतल पेय के लिए सर्वोत्तम)
हम अकसर बच्चों व बड़ों को एक पतली नली के जरिए शीतल पेय पीते हुए देखते हैं। इसके सहारे ६ वीरे-धीरे शीतल पेय पीने का एक अलग ही आनन्द है। यह चलन अत्यंत पुराना है। अनेक वनस्पतियां ऐसी हैं, जो इी तरह खोखली होती हैं, जो इसी तरह खोखली होती हैं। और लोग इनके जरिए प्राचीन काल में शीतल पेय का आनन्द लिया करते थे।
सन् 1888 से पूर्व ही मार्विन स्टोन ने वाशिंगटन में अपनी फैक्टरी लगाई, जिसमें वह कागज के सिगरेट-खोल बनाया करता था। एक दिन वह अपने कामकाज के सिलसिले में बाहर गया तो उसे जोर की प्यास | लगी। वह पास में ही शीतल पेय की एक दुकान में गया, जहां दुकानदार ने शीतल पेय के साथ वनस्पति की पाइप दी। स्टोन ने उससे जब पेय पिया तो उसे मजा नहीं आया। वह पिलपिला भी तथा उससे घास की महक भी आ रही थी।
अब स्टोन सोचने लगा कि क्या किया जाए काफी सोचने के बाद उसे ध्यान आया कि उसका सिगरेट का पाइप भी तो इस स्ट्रों जैसा ही है। अब उसने कागज को पेंसिल के चारों ओर लपेटा और फिर उन्हें चिपकाया। नए तैयार हुए स्ट्रॉ उसने पास के कोल्ड ड्रिक स्टोर में भेजे।
स्टोन बीच-बीच में उस स्टोर में शीतल पेय पीने जाता तो स्टोर का मालिक उसे कागज की स्ट्रॉ ही देता था। यह देखकर अन्य ग्राहकों ने भी कागज की स्ट्रॉ मांगनी प्रारम्भ कर दी।
अब स्टोन इस स्ट्रॉ की डिजाइन में सुधार करने लगा। उसने इसकी सही लम्बाई का आंकलन किया, जाकि यह आम ग्लास की तली तक पहुंचे। इसके साथ इस नली का व्यास इतना रखा कि नीबू का बीज या रेशे इसके अन्दर से होकर न जा सकें। साथ ही कागज की बनी स्ट्रॉ के ऊपर मोम की परत भी जमाई, ताकि वह ज्यादा दिन चल सके।
मार्विन स्टोन ने इस पतली नली को पेटेंट भी करा लिया और जोर-शोर से इसका उत्पादन शुरू कर दिया। यह स्ट्रॉ पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गई। इससे शीतल पेय पीने का अलग ही आनन्द मिलने लगा। साथ ही सफाई और स्वाद भी बरकरार रहने लगा।