तू डाल-डाल मैं पात-पात
Tu Dal Dal mein Pat Pat
जंगल में शेर सिंह के जन्म दिवस का समारोह मनाया जा रहा था। सभी जानवर शेर सिंह के लिए कुछ न कुछ उपहार लाए थे। जंगल के सभी जानवर वहाँ मौजूद थे। परन्तु लोमड़ी अभी तक नहीं आई थी। धूर्त भेड़िया लोमड़ी से बहुत चिढ़ता था। अवसर का लाभ उठाते हुए वह शेर सिंह से बोला, “महाराज, लगता है लोमड़ी को आपके जन्म दिन पर प्रसन्नता नहीं हुई है। इसलिए वह अभी तक नहीं आई।” ठीक उसी समय लोमड़ी वहाँ पहुँच गई और उसने भेड़िए के मुख से अपनी निंदा सुन ली। वह शेर सिंह की तरफ देखते हुए बोली, “महाराज, मुझे इसलिए देर हो गई क्योंकि मैं आपके लिए विशिष्ट जूते उपहार में लाना चाहती थी। जिन्हें पहनकर आप सदैव स्वस्थ रहते। ऐसा एक साधु महाराज ने कहा था।”
विशिष्ट जूते, पर तुम वह जूते क्यों नहीं ला पाई?” शेर सिंह ने जिज्ञासावश पूछा। लोमड़ी बोली, “महाराज, यदि वह जूते मेरी खाल से बनते तो भी मैं जरूर लेकर आती। परन्तु वह केवल भेड़िए की खाल से ही बनते हैं इसीलिए मैं लाने में असमर्थ हो गई।” ऐसा सुनते ही भेड़िया वहाँ से गायब हो गया। उसे डर था कि कहीं शेर सिंह उसकी खाल के जूते न बनवा लें। अत: सदैव ध्यान रहे कि किसी और का बुरा चाहने से आपका खुद का भी बुरा हो सकता है।