थोथा चना बाजे घना
Thotha Chana Baje Ghana
दादाजी कुछ खा रहे थे। अमर ने पूछा-“दादाजी, आप क्या खा रहे हैं?” “बेटा, भुने हुए चने खा रहा हूँ। लो, तुम भी खाओ।” दादाजी ने चने के कुछ दाने अमर को देते हुए कहा।
“दादाजी, हमारी क्लास में एक लड़का है। वह बहुत बोलता है। मैडम उसे कहती हैं-थोथा चना बाजे घना। दादाजी, मैडम ऐसा क्यों कहती हैं ? इसका क्या मतलब है?” अमर ने पूछा।
“बेटा, कुछ लोगों को डींग मारने की आदत होती है। असल में उनके पास न ज्ञान होता है और न ही वे कोई काम करने लायक होते हैं। ऐसे लोग बेकार ही अपने बारे में बढ़-चढ़कर बातें करते हैं। इसीलिए तो उन्हें कहते हैं, थोथा चना बाजे घना।” दादाजी ने समझाते हुए कहा।
जैसे थोथा चना अंदर से खोखला होता है, वैसे ही है न दादाजी ?” अमर बोला। उसी समय लता भी भागती हुई वहाँ आ गई। दादाजी, हमें इसके बारे में कहानी सुनाओ।” अमर ने आग्रह किया। । “तो सुनो।” दादाजी ने कहना शुरू किया-“ एक राजा था। उसके दरबार में कौशल नाम का एक मंत्री था। वह बहुत बुद्धिमान और हाजिरजवाब था।
जब कभी राजा के सामने कोई जटिल समस्या आती, तो कौशल तुरंत उसका हल बता देता। राजा खुश होकर उसे उचित इनाम भी दे देते थे। राजा उसका आदर करता था। परंतु अधिकतर दरबारी मन-ही-मन उससे जलते थे और मौका मिलने पर उसे नीचा दिखाने की पूरी कोशिश करते थे। कभी-कभी वे राजा को कौशल मंत्री की कोई-न-कोई परीक्षा लेने के लिए कहते थे। लेकिन हर बार कौशल अपनी सूझ-बूझ से उस परीक्षा में सफल हो जाता था।
एक दिन उन दरबारियों के कहने पर राजा ने कौशल मंत्री के आगे दो थैलियाँ रख दी और कहा-‘मंत्री महोदय, ये दो थैलियाँ हैं। इन दोनों थैलियों में बराबर वजन के चने हैं। लेकिन एक थैली में थोथे चने हैं और दूसरी थैली में ठोस चने हैं। आपको बताना है कि थोथे चने किस थैली में हैं? हाँ, आप थैलियों को खोलकर नहीं देख सकते। बंद थैलियों को ही परखना है।’ ” मंत्री ने कहा-‘महाराज, यह तो बहुत आसान काम है।’ यह कहते हुए कौशल ने दोनों थैलियाँ पकड लीं और उन्हें बारी-बारी से जोर-जोर से हिलाया। एक थैली को अपने कान के पास ले जाकर हिलाया और बोला-‘महाराज, इस थैली में थोथे चने हैं।’ ” कहानी सुनाते-सुनाते दादाजी रुक गए। “फिर क्या हुआ दादाजी?” अमर और लता ने पूछा।
हाँ, फिर राजा ने मंत्री से पूछा कि उसने कैसे पता लगाया कि इस थैली में थोथे चने भरे हुए हैं। इस पर मंत्री ने बताया-‘महाराज, इस थैली को हिलाने पर थोथे चनों के आपस में रगड़ने के कारण मुझे तेज आवाज सुनाई दी। इसी से मैंने पहचान लिया कि इसी थैली में थोथे चने हैं, क्योंकि थोथा चना बाजे घना। राजा ने खुश होकर कौशल मंत्री को ढेर सारा इनाम दिया ।” दादाजी ने कहानी समाप्त करते हुए कहा।
अमर और लता दादाजी की कहानी सुनकर बहुत खुश हुए। दादाजी ने समझाते हुए कहा-“बेटे, ज्ञानवान और समझदार लोग कम बोलते हैं, जबकि अधूरे ज्ञान वाले लोग बहुत बढ़-चढ़कर बातें करते हैं। ज्ञानी पुरुष कम शब्दों में गहरी बात कह जाता है, जबकि खोखले ज्ञग्न वाला व्यक्ति शोर मचाकर निरर्थक बातें करता है।”