Hindi Story, Essay on “Sher aur Chuha”, “शेर और चूहा” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

शेर और चूहा

Sher aur Chuha

गर्मियों की तपती दोपहर थी। एक शेर ने तय किया कि वह बड़े से पेड की घनी छांह में आराम करेगा। वह उसके नीचे लेट कर झपकी लेने लगा। तभी उस पेड़ पर रहने वाला एक चूहा वहां आ गया। उसे थोडी मस्ती करने की सूझी। वह शेर की अयाल पर चढ़ गया और उसके शरीर पर नाच-नाच कर उछल-कूद मचाने लगा।

चूहे की इस उछल-कूद से शेर की नींद टूट गई और उसने चूहे कोझट से अपने पंजों में दबोच लिया। नन्हा चूहा चिल्लाने लगा, “महाराज! मेरी जान बख्श दो, मैं भी कभी आपके काम आऊंगा। जरूरत पड़ने पर आपकी सहायता करूंगा।”

यह सुन कर शेर हंसने लगा। “तुम इतने छोटे से चूहे हो। भला तुम मेरी क्या मदद कर सकते हो।” खैर शेर को चूहे का साहस देख कर अच्छालगा और उसने उसे छोड़ दिया।

अगले ही दिन, शेर जंगल में शिकारियों द्वारा लगाए गए जाल में फंस गया। शेर अपने-आप को जाल से निकालने की जितनी कोशिश करता। उसमें उतना ही उलझता जाता। शेर को पूरा यकीन हो गया था कि इस बार उसकी मौत तय थी।

तभी उसे किसी की आवाज सुनाई दी। “महाराज! मुझे लगता है कि आज इतने बड़े शेर की सहायता के लिए नन्हे से चूहे की मदद ली जासकती है… मैंने ठीक कहा न?”

शेर ने देखा कि जमीन पर खड़ा चूहा मुस्कुरा रहा था। अब शेर को एहसास हुआ कि वह कितना गलत था। उसने चूहे से माफी मांगी और चूहेने अपने तीखे दांतों से उसका जाल कुतरने में देर नहीं की। तब से शेर व चूहे में पक्की दोस्ती चली आ रही है।

नैतिक शिक्षाः कोई भी प्राणी अपने आकार से छोटा या बड़ा नहीं होता।

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