Hindi Story, Essay on “Sangthan me Shakti hai”, “संगठन में शक्ति है” Complete Paragraph for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10 Students.

संगठन में शक्ति है

Sangthan me Shakti hai

 

किसी वन में एक बहुत बड़ा अजगर रहता था। वह बहुत अभिमानी और अत्यंत कर था। जब वह अपने बिल से निकलता तो सब जीव उससे डरकर भाग खड़े होते। उसका मुँह इतना विकराल था कि खरगोश तक को निगल जाता था। एक बार अजगर शिकार की तलाश में घूम रहा था। सारे जीव तो उसे बिल से निकलते देख ही भाग चुके थे। उसे कुछ न मिला तो वह क्रोधित होकर फुफकारने लगा और इधर-उधर खाक छानने लगा। वहीं निकट में एक हिरणी अपने नवजात शिशु को पत्तियों के ढेर के नीचे छिपाकर स्वयं भोजन की तलाश में दूर निकल गई थी।

अजगर की फुफकार से सूखी पत्तियाँ उड़ने लगी और हिरणी का बच्चा नजर आने लगा। अजगर की नजर उस पर पड़ी। हिरणी का बच्चा उस भयानक जीव को देखकर इतना डर गया कि उसके मुँह से चीख तक न निकल पाई। अजगर ने देखते-ही-देखते नवजात हिरण के बच्चे को निगल लिया। तब तक हिरणी भी लौट आई थी, पर वह क्या करती? आँखों में आँसू भर, जड़ होकर दूर से अपने बच्चे को काल का ग्रास बनते देखती रही।

हिरणी के दुःख का ठिकाना न रहा। उसने किसी-न-किसी तरह अजगर से बदला लेने की ठान ली। हिरणी की एक नेवले से दोस्ती थी। शोक में डूबी हिरणी अपने मित्र नेवले के पास गई और रो-रोकर उसे अपनी दुःख भरी कथा सुनाई। नेवले को भी बहुत दुःख हुआ। वह दुःख भरे स्वर में बोला “मित्र मेरे बस में होता तो मैं उस नीच अजगर के सौ टुकड़े कर डालता।। पर क्या करें, वह छोटा-मोटा साँप नहीं है, जिसे मैं मार सकूँ, वह तो एक अजगर है। अपनी पूँछ की फटकार से ही मुझे अधमरा कर देगा। लेकिन
पास ही में चींटियों की एक बाँबी है। वहाँ की रानी मेरी मित्र है। उससे सहायता माँगनी चाहिए।”

हिरणी ने निराश स्वर में विलाप किया, “पर जब तुम्हारे जितना बड़ा जीव उस अजगर का कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो वह छोटी सी चींटी क्या कर लेंगी?”

नेवले ने कहा, “ऐसा मत सोचो। उसके पास चींटियों की एक बहुत बड़ी सेना है। संगठन में बड़ी शक्ति होती है।”

हिरणी को आशा की किरण नजर आई। नेवला हिरणी को लेकर चींटी रानी के पास गया और उसे सारी कहानी सुनाई। चींटी रानी ने सोच-विचारकर कहा, “हम तुम्हारी सहायता करेंगे । हमारी बाँबी के पास एक सँकरीला नुकीले पत्थरों भरा रास्ता है। तुम किसी तरह अजगर को उस रास्ते पर ले आओ। बाकी काम मेरी सेना पर छोड़ दो।”

नेवले को अपनी मित्र चींटी रानी पर पूरा विश्वास था, इसलिए वह अपनी जान जोखिम में डालने को तैयार हो गया। अगले दिन नेवला अजगर के बिल के पास जाकर बोलने लगा। अपने शत्र की बोली सुनते ही अजगर क्रोध में भरकर अपने बिल से बाहर आया। नेवला उसी सँकरे रास्तेवाली दिशा। में दौड़ा। अजगर ने पीछा किया। अजगर रुकता तो नेवला मुड़कर फुफकारता।
और अजगर को गुस्सा दिलाकर फिर पीछा करने को मजबूर करता। इस प्रकार अजगर उस पथरीले रास्ते पर आ गया और नुकीले पत्थरों से उसका शरीर छिलने लगा और जगह-जगह से खून टपकने लगा था।

उसी समय चींटियों की सेना ने उस पर हमला कर दिया। चींटियाँ उसके शरीर पर चढ़कर छिले स्थानों के मांस को काटने लगीं। अजगर तड़प उठा। अपना शरीर पटकने लगा, जिससे और मांस छिलने लगा और चींटियों को आक्रमण के लिए नए-नए स्थान मिलने लगे। अजगर चींटियों का क्या बिगाडता? वे हजारों की गिनती में उस पर टूट पड़ रही थीं। कुछ ही देर में कर अजगर ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।

सीख : संगठन शक्ति बड़े-बड़ों को धूल चटा देती है।

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