समय से पहले कुछ नहीं मिलता
Samay se pehle kuch nahi Milta
एक व्यक्ति भगवान का बहुत बड़ा भक्त था। वह अपना सारा समय पूजा-पाठ में व्यतीत करता था। परन्तु इसके बावजूद वह सदा किसी न किसी कष्ट से घिरा रहता था। तथा गरीबी में किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहा था। वह रोज सुबह उठकर समीप के मंदिर के सात चक्कर लगाता था और फिर अपना दैनिक कार्य प्रारम्भ करता था। एक दिन उस व्यक्ति को देखकर भगवान को उस पर दया आ गई। उसे कुछ प्रदान करने के उद्देश्य से उन्होंने सोने की मुद्राओं से भरी एक थैली मंदिर के एक किनारे पर रख दी ताकि जब वह व्यक्ति मंदिर के चक्कर लगाए तो वह थैली उसे मिल जाए।
रोजाना की तरह सुबह होते ही गरीब व्यक्ति मंदिर पहुँचा। उसने सोचा “रोजाना मैं आँखें खोलकर इस मंदिर की परिक्रमा करता हूँ, क्यों न आज आँखें बंद करके इस मंदिर की परिक्रमा करूँ?” ऐसा विचार कर उसने आँखें बंद करके मंदिर के सात चक्कर लगाए और अपने घर चला गया। चूंकि उसकी आँखें बंद थी, इस कारण उसे भगवान द्वारा रखी हुई मुद्राओं की थैली नजर नहीं आई।
अत: इस तरह वह गरीब का गरीब ही रह गया। – भगवान ने अपनी मुद्राओं की थैली वापस उठाते हुए कहा, “इस व्यक्ति के भाग्य में पैसे का इसके पास होना शायद लिखा ही नहीं है। किसी ने ठीक ही कहा है कि कभी किसी को समय से पहले और किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता।”