सच्चा राजा
Sacha Raja
कंचन वन में शेरसिंह का राज समाप्त हो चुका था, पर वहाँ बिना राजा के स्थिति ऐसी हो गई थी जैसे जंगलराज हो। जिसकी जो मरजी वह कर रहा था। वन में अशांति, मार-काट और गंदगी इतनी फैल गई कि वहाँ जानवरों का रहना मुश्किल हो गया। कुछ जानवर शेरसिंह को याद कर रहे थे, “जब तक शेरसिंह ने राजपाट सँभाला, सारे वन में कितनी शांति और एकता थी। अब अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन यह वन ही समाप्त हो जाएगा और हम सब जानवर बेघर होकर मारे जाएँगे।”
गोलू भालू बोला, “कोई-न-कोई उपाय तो करना ही होगा। क्यों न हम आम सहमति से अपना कोई राजा चुन लें, जो शेरसिंह की तरह हमें पुनः एक जंजीर में बाँधे और वन में एक बार फिर से अमन-शांति के स्वर गूंज उठे।” सभी गोलू भालू की बात से संतुष्ट हो गए। पर समस्या यह थी कि राजा किसे बनाया जाए ? सभी जानवर स्वयं को दूसरे से बड़ा बता रहे थे।
सोनू मोर बोला, “क्यों न एक पखवाड़े तक सभी को कुछ-न-कुछ काम दे दिया जाए, जो अपने काम को सबसे अच्छे ढंग से करेगा, उसी को राजा बना दिया जाएगा।”
सभी सहमत हो गए और फिर सभी जानवरों को उनकी योग्यता के आधार पर काम दे दिया गया। बिपी लोमड़ी को मिट्टी हटाने का काम दिया गया तो भोलू बंदर को पेड़ों पर लगे जाले हटाने का, सोनी हाथी को पत्थर उठाकर गड्ढे में डालने का काम सौंपा गया और मोनू खरगोश को घास की सफाई की जिम्मेदारी।
जब एक पखवाड़ा बीत गया तो सभी जानवर अपने-अपने कार्यों का ब्योरा लेकर एक मैदान में एकत्रित हुए। सभी जानवरों ने अपना काम बड़ी सफाई और मेहनत से पूरा किया था। सिर्फ सोनू हाथी था, जिसने एकही पत्थर गड्ढे में नहीं डाला था।
अब एक समस्या फिर खड़ी हो गई कि आखिर किसके काम को सबसे अच्छा माना जाए। बुद्धिमान मोनू खरगोश ने युक्ति सुझाई, “क्यों न मतदान करा लिया जाए, जिसे सबसे ज्यादा मत मिलेंगे, उसे ही राजा चुन लेंगे।”
अगले दिन सुबह-सुबह चुनाव रख लिया गया और एक बड़े मैदान में सभी पशु-पक्षी मत देने के लिए उपस्थित हो गए। मतदान समाप्त होने के बाद मतों को गिनने का काम शुरू हुआ। यह क्या! सोनू हाथी गिनती में सबसे आगे चल रहा था और जब मतों की गिनती समाप्त हुई तो सोनू हाथी सबसे ज्यादा मतों से विजयी हो गया। सभी जानवर एक-दूसरे का मुँह ताक रहे थे।
तभी पक्षीराज गरुण वहाँ उपस्थित हुए और उपस्थित जानवरों को संबोधित करते हुए बोले, ‘सोनू हाथी प्रतिदिन पत्थर लेकर गड्ढे तक जाता था, किंतु जब उसने देखा कि उस गड्ढे में मेरे अंडे रखे हैं तो वह पत्थरों को उसमें न डालकर पास ही जमीन पर एकत्रित करता रहा। सोनू ने अपने राजा बनने के लालच को छोड़ एक जीव को बचाना ज्यादा उपयोगी समझा। उसकी इस परोपकार की भावना को देखकर हम पक्षियों ने तय किया कि जो अपने लालच को छोड़कर दूसरों के सुख-दुःख का ध्यान रखे, वही सच्चे तौर । पर राजा बनने का अधिकारी है और चूँकि वन में पक्षियों की संख्या पशुओं से अधिक थी, इसलिए सोनू हाथी चुनाव जीत गया।’ ।
सबक : सच्चा राजा वही है, जो परोपकार की भावना को सर्वोच्च स्थान दे।