राजा की कटी अंगुली
Raja ki Kati Ungali
बहुत दूर, किसी राज्य में एक राजा राज करता था। उसका मंत्री बहन बुद्धिमान था। दरबार की कार्यवाही समाप्त होने के बाद अक्सर वे दोनों तलवारबाजी का अभ्यास करते।
ऐसे ही एक दिन तलवार चलाते समय, राजा के हाथ से तलवार छूटी और उनकी अपनी ही अंगुली कट गई। राजा तो देख कर हैरान रह गए…ये क्या!! इतना शक्तिशाली राजा और अपने ही हाथ की अंगुली काट ली। यह देख कर उसके दिल को बड़ा धक्का लगा पर मंत्री ने किसी भी तरह का भय या सहानुभूति दिखाए बिना शांतिपर्युक कहा, “महाराज! आप दु:खी न हों। इस संसार में सब कुछ किसी न किसी कारण से ही घटता है।
हमारे साथ घटने वाली बुरी घटनाओं में भी कोई न कोई अच्छाई ही छिपी होती। है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस तरह अंगुली कटने में भी आपकी भलाई ही होगी।”
राजा को तो यह सुन कर और भी गुस्सा आ गया। भला उनकी अंगुली कटने से उनका क्या भला हो सकता था? उन्हें लगा कि प्रधानमंत्री पगला हो गया है कि उसे राजा की मान-मर्यादा की परवाह नहीं रही थी। राजा ने सेनिकों को आदेश दिया कि प्रधानमंत्री को कारागार में डाल दिया जाए।
अगले दिन राजा अपने राज्य के जंगली इलाकों की यात्रा पर निकल गया। वहां के जंगली कबीलों ने उसे बंदी बना लिया। वे अपने देवता के आगे राजा की बलि चढ़ाना चाहते थे।
जब वे उसका सिर धड़ से अलग करने लगे तो अचानक उन्हें दिखाई दिया कि राजा की अंगुली तो कटी हुई थी। वे अपने देवता को अधूरा या दोषयुक्त शरीर बलि में नहीं चढ़ा सकते थे इसलिए उन्होंने राजा को छोड़ दिया।
राजा ने अपने महल पहुंच कर सबसे पहले प्रधानमंत्री को कैद से रिहा करवाया और उससे माफी मांगी। बेशक उनकी अंगुली कटने से उनका भला ही हुआ था।
नैतिक शिक्षाः बुरी से बुरी परिस्थितियों में भी भलाई छिपी होती है।