परिश्रम सफलता की कुंजी है
Parishram Safalta ki Kunji hai
कहानी नंबर :- 01
रमन आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था। वह हिसाब के विषय में बहुत कमजोर था। कक्षा में अध्यापक से प्रति दिन उसकी पिटाई होती और भरी कक्षा में उसे प्रतिदिन अपमानित होना पड़ता था। हिसाब (गणित) अब उसके लिए एक भय का विषय हो गया था। एक दिन स्कूल से वापिस घर पहुंचा तो वह बड़ा उदास था। घर में उसका मित्र सुरेश आया हुआ था। बड़ी खुशी से सुरेश रमन को मिलने को उठा तो रमन का रूआशां मुंह सुरेश ने छिपा न रह सका। कारण पूछने पर रमन ने उसे सारी बात बताई कि वह गणित के विषय में बहुत कमजोर है और सारी कक्षा के सामने उसे अध्यापक द्वारा अपमानित होना पड़ता है। सुरेश ने रमन से कहा- मित्र इसमें घबराने की क्या बात है। परिश्रम करने से क्या सम्भव नहीं हो सकता। तब उसे उसे समझाया-
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत जावत ते, सिल पर परत निशान।
अगर एक कोमल रस्सी कठोर पत्थर पर निशान डाल सकतीहै तो वह अभ्यास द्वारा क्या नहीं कर सकता। उसने रमन को कहा कि वह रोज ही अध्यापक द्वारा पढ़ाया पाठ घर पर आकर दो-चार बार पढ़ा करे तो अवश्य ही गणित का विषय ही क्या कोई भी कार्य उसके लिए सरल हो जाएगा।
रमन ने सुरेश की बात दिमाग में बिठा ली। प्रतिदिन घर आकर वह नित्य प्रति अध्यापक द्वारा करवाए गए गणित के प्रश्न लिख कर देखता। अध्यापक द्वारा कक्षा में करवाए गए प्रश्न घर पर बैठकर हल करता। अब उसे गणित कठिन नहीं लगा। उसका विषय के प्रति भय समाप्त हो गया।
छ: मासिक परीक्षा में गणित का पर्चा अन्य विषयों की अपेक्षा सुन्दर हुआ। परिणाम आने पर उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। अब उसे गणित 90% अंक प्राप्त हुए। उसके अध्यापक को भी बहुत प्रसन्नता हुई। स्टेज पर बुला कर रमन को इनाम दिया गया। सच ही है परिश्रम ही सफलता का रहस्य है। परिश्रम द्वारा मनुष्य जीवनको हर कठिनाई का सामना कर सकता है।
शिक्षा- परिश्रम सफलता की कुंजी है।
कहानी नंबर :- 02
परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
Parishram Safalta ki Kunji hai
परिश्रम करना मनुष्य के अपने हाथ में होता है और सफलता भी उस को मिलती है जो परिश्रम करत परिश्रम ही सफलता की वह कुंजी है जिससे महानता, यश और समृद्धि के खजाने खोले जा सकते हैं। एक 3
और साधारण किसान भी परिश्रम के बल पर अच्छी फसल उगा सकता है। विद्यार्थी अपने परिश्रम के बल पर प्रान्त में प्रथम भी आ सकता है। कवि कालिदास का उदाहरण हमारे सामने है। आरम्भ में वह इतना मूर्ख था मूर्ख कालिदास अपने परिश्रम के बल पर संस्कत का महान् कवि बना। लाल बहादुर शास्त्री भी अपने परिष्ठ बल पर ही प्रधानमन्त्री के उच्च पद तक पहंचे। किसी भी व्यक्ति की सफलता में 90% भाग उसके परिश्र होता है। कहते हैं मनुष्य अपने भाग्य का स्वंय निर्माता होता है। कर्मवीर व्यक्ति ग्रह नक्षत्रों पर विश्वास नहीं ह
परिश्रम में मुंह मोड़ने वाला व्यक्ति कायर या आलसी कहलाता है। परिश्रम का रास्ता फूलों से नहीं कांटों भरा होता है। इस रास्ते पर चलने के लिए पक्की लगन और दृढ़ संकल्प का होना जरूरी है। जो व्यक्ति परिश्रम को अपने जीवन का लक्ष्य बना लेता है, वही जीवन में सफलता भी प्राप्त करता है। कविवर पन्त जी ने चींटी का उदाहरण देकर मनुष्य को जीवन में संघर्षरत रहने की सलाह दी है। संघर्ष से ही जीवन में गति आती है। जीवन में वास्तविक सख और आनन्द व्यक्ति को अपने परिश्रम से ही प्राप्त होता है। आज के विद्यार्थी को यह बात मन में पक्की तरह बैठा लेनी चाहिए कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।