Hindi Story, Essay on “Nachiketa”, “नचिकेता” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

नचिकेता

Nachiketa

वाजश्रवा ने अपनी उन्नति के लिए यज्ञ का आयोजन किया । इसमें देश के विद्वान और ऋषि-मुनि आमंत्रित किए गए । यज्ञ के उपरान्त वाजश्रवा ने ब्राह्मणों को दक्षिणा में बूढ़ी और दूध न देने वाली गाएँ दान की । इससे सब बहुत निराश हुए । लोगों को आशा थी कि वाजश्रवा ब्राह्मणों को प्रचुर धन-संपत्ति देगा।

पिता के इस व्यवहार से पत्र नचिकेता को सबसे अधिक दु:ख हुआ। उसकी यह इच्छा थी कि पिता अपनी प्यारी से प्यारी वस्त दान में दें । नचिकेता ने पिता से अपना विरोध प्रकट किया। लेकिन पिता ने उसकी बात पर जरा भी ध्यान नहीं दिया । बूढ़ी गायों के दान पर बार-बार आपत्ति करने पर पिता ने झुंझलाकर कहा, “जा मैंने तुझे मृत्यु को दिया ।” यह सुनकर बालक नचिकेता गहरी सोच में पड़ गया।

पिता के आदेश का पालन करने के लिए आज्ञाकारी बालक यमलोक जा पहुँचा । उस समय यमराज अपने निवास स्थान पर नहीं थे । तीन दिन तक नचिकेता यमराज के द्वार पर भूखा-प्यासा बैठा रहा । यमराज आए, उन्होंने बालक से यहाँ आने का कारण पूछा । उसका उत्तर सुनकर यमराज चकित रह गए । वे उसकी निर्भयता, साहस और विचार से बहुत प्रभावित हुए । उन्होंने नचिकेता से कोई तीन वर माँगने के लिए कहा।

नचिकेता ने पहले वरदान के रूप में माँगा, “जब मैं घर लौटूं तो पिता का क्रोध शांत हो जाए ।” दूसरा वरदान यह माँगा कि स्वर्ग प्राप्ति की विधि का उसे ज्ञान हो जाए । तीसरा वरदान उसने यह माँगा, “मुझे आत्मा के रहस्य का ज्ञान प्राप्त हो जाए ।” यमराज ने नचिकेता को तीनों वरदान देना स्वीकार कर लिया । उन्होंने उसे आत्मा का ज्ञान देकर कहा, “उठो पुत्र, जागो और श्रेष्ठ व्यक्तियों के पास जाकर उनसे ज्ञान प्राप्त करो।”

Leave a Reply