मित्र वही जो मुसीबत में काम आए
Mitra vahi jo Musibat me Kaam Aaye
मित्र तो बहुत मिलते हैं परन्तु सच्चा मित्र मिलना कठिन है। सुःख में सभी साथ रहते हैं पर दु:ख के समय साथ निभाने वाले को ही सच्चा मित्र कहा जाता है। सच्चे मित्र का पता मुसीबत आने पर चलता है।
एक शहर में दो मित्र रहते थे। उनकी मित्रता पक्की थी। एक दिन उन्होंने व्यापार करने के लिए सोचा। जो धन उनके पास था वे लेकर नगर की ओर चल पड़े। दोनों प्रसन्नता पूर्वक जा रहे थे। रास्ते में जंगल पड़ता था। जब वे जंगल में से जा रहे थे तो सामने से एक रीछ आता दिखाई दिया। दोनों ही रीछ को देख कर सहम गए। दोनों में से एक मित्र को पेड़ पर चढ़ना आता था वह झटपट पेड़ पर चढ़ गया और जिस मित्र को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था वह असहाय होकर रह गया। अचानक उसे एक उपाय सूझा। उसने सुन रखा था कि रीछ मृत प्राणियों को नहीं खाता। वह सांस रोककर जमीन पर लेट गया।
इतने में रीछ भी वहाँ आ पहुंचा। उसने जमीन पर लेटे मित्र के कान, नाक, मुँह इत्यादि को सूंघा और मृतक जान कर छोड़ कर चला गया। पेड़ पर चढ़ा मित्र सब कुछ देख रहा था। रीछ के काफी दूर जाने पर पित्र पेड़ से उत्तर कर दूसरे मित्र से पूछने लगा कि रीछ आपके कान में क्या कह रहा था। मित्र ने झट से उत्तर दिया कि रीछ ने उससे कहा कि स्वार्थी मित्रों से बचो। यह सुन कर वह बहुत लज्जित हुआ।
शिक्षा- मित्र वही होता है जो मुसीबत में काम आता है।