मेहनत का फल मीठा होता है
Mehnat ka Phal Mitha hota hai
एक भिखारी दिन भर भीख माँग कर अपना गुजारा करता था। कभी तो उसे भीख मिल जाती, तो कभी उसे भूखे ही रहना पड़ता। एक दिन उसने सोचा, “आज मैं गाँव के मुखिया से भीख माँगता हूँ। उसके पास बहुत कुछ है।” जब वह मुखिया के घर पहुँचा तो उसे पता चला कि मुखिया तो राजा के पास सहायता माँगने गया है। भिखारी ने सोचा- रोज-रोज भीख माँगने से अच्छा है कि वह स्वयं ही राजा से भीख माँग ले। अत: वह राजा से मिलने राजमहल की ओर चल पड़ा। मार्ग में एक बहुत विशाल मंदिर था। वहाँ बहुत भीड़ लगी हुई थी। भिखारी ने भीड़ लगने का कारण पूछा तो पता चला कि राजा अपने परिवार के साथ भगवान के दर्शन के लिए आए हुए है। वह मंदिर के बाहर खड़ा होकर राजा की प्रतीक्षा करने लगा।
राजा ने भगवान की आरती की तथा हाथ जोड़कर प्रार्थना की, “हे भगवान, आप बड़े दयालु हैं। मुझ पर कृपा रखना तथा मेरे भंडार सदैव भरे रखना।” यह सुनकर भिखारी को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने तुरन्त राजा से भीख माँगने का विचार त्याग दिया। उसने सोचा, “जब राजा खुद भगवान से माँग रहा है तो मैं स्वयं भगवान से क्यों न माँगू।” फिर भिखारी ने मंदिर के अंदर जाकर भगवान से सुखी रहने का आशीर्वाद माँगा। सुखी रहने का सबसे बड़ा उपाय मेहनत करना है।
I am feeling that I will leave my home.