मक्कार भेड़िया
Makkar Bhediya
एक भेडिया बहुत देर से जंगल में खाने के लिए कुछ खोज रहा था। वह बहुत देर तक भटकता रहा पर उसे खाने को कुछ नहीं मिला। अंत में वह चलते-चलते जंगल के छोर तक आ गया।
उस कोने से उसे गांव के खेत दिखाई देने लगे। वह चलते-चलते जईके खेतों तक आ गया। उसे अपने भोजन में जई अच्छी नहीं लगती थी। वह वहां से जाने ही वाला था किउसे खेत में एक घोड़ा चरता दिखाई दिया।
भेड़िए ने देखा कि वह एक पांव से लंगड़ा कर चल रहा था। यह सोच कर उसके मुंह में पानी आ गया यह घोडा लंगडाने के कारण तेज नहीं चल पाएगा और मैं आसानी से इसे अपना आहार बना लूंगा।’
इस तरह वह उस घोड़े के पास जा कर बोला, “ श्रीमान घोडे! आपके क्या हालचाल हैं?”
घोड़ा उसके सामने ही चरता रहा और बोला, “मैं तो मजे में हूं परआप यहां कैसे आ पहुंचे?”
“मैं तो यहां से निकल रहा था….आपकी टांग देखी, क्या हुआ आपको, आप लंगड़ा क्यों रहे हैं?”
बड़ा ही दर्द हुआ था। मेरे खुर में एक कील घुस गया था। उसे निकाल तो दिया गया है पर अभी घाव भरने में थोड़ा वक्त लगेगा।” घोड़े ने जवाब दिया।
“आप मुझे देखने दें कि पैर में क्या हुआ है।” घोड़ा समझ गया थाकि धूर्त भेड़िया क्या चाहता था पर उसने उसे सबक सिखाने की ठान ली। ज्यों ही भेड़िया उसका पांव देखने के लिए झुका तो घोड़े ने उसके मुंह पर जोरदार लात दे मारी। तब से भेड़िया कभी जंगल से बाहर नहीं आता।
नैतिक शिक्षाः हमेशा दूसरों को मूर्ख बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।