जितना पास है उसमे संतुष्ट रहो
Jitna Pass hai Usme Santusht Raho
एक दिन मोहन को मार्ग में सोहन मिला। सोहन बहुत प्रसन्न नजर आ रहा था। अत: मोहन ने उससे पूछा, “क्या बात है मित्र, बड़े खुश दिख रहे हो?” सोहन शान में अकड़ कर बोला, “खुश तो होऊँगा ही क्योंकि मेरा विवाह हो गया है न।” बधाई हो! यह तो बड़ी खुशी की बात है।” मोहन ने प्रसन्न होते हुए कहा। “खुशी कैसी? मेरी बीबी इतनी काली तथा कुरूप है कि वह बिल्कुल चुडैल दिखाई देती है।’ सोहन ने दु:खी होते हुए कहा।। यह तो बड़े दुर्भाग्य की बात है,” मोहन ने सोहन के दु:ख में साथ देने के लिए कहा।
दुर्भाग्य कैसा? उसे दहेज में एक बड़ा सुन्दर घर मिला था,” सोहन बोला। “अच्छा! बड़े भाग्यशाली हो,’ सोहन ने हैरान होते हुए कहा। भाग्यशाली कैसा? घर को तो आग लग गई,” सोहन बोला। यह तो तुम्हारा दुर्भाग्य है,” मोहन ने परेशान होते हुए कहा। दुर्भाग्य कहाँ? जब घर जल रहा था। तो वह चुडैल भी तो घर के भीतर ही थी”, सोहन बोला। मोहन ने अपना माथा पीट लिया। कुछ लोग किसी भी परिस्थिति में खुश या सन्तुष्ट नहीं होते, बिल्कुल सोहन की तरह। अत: जितना हमारे पास है हमें उसी में सन्तुष्ट रहना चाहिए।