रंगा सियार
Ranga Siyar
एक जंगल में एक चलाक सियार रहता था। एक दिन उसने गाँव देखने का निश्चय किया। जैसे ही वह एक गाँव के निकट पहुंचा। कुत्ते उसे देखकर भौंकने लगे। कुत्तों को देखकर वह तेजी से भागा और एक धोबी के घर जा घुसा। धोबी उस समय घर पर नहीं था। घबराहट के मारे सियार एक टब में गिर पड़ा। टब में कपड़े रंगने के लिए नीले रंग का पानी था। टब में गिरते ही सियार नीले रंग का हो गया। जैसे ही उसने अपने शरीर की ओर देखा तो उसे आश्चर्य हुआ। वह सोचने लगा, चलो जो हुआ, अच्छा ही हुआ। अब कुत्ते मुझे पहचान नहीं पाएंगे और मैं चुपके से जंगल में चला जाऊंगा। सियार चुपके से घर से निकला। इस रंगे सियार को कुत्ते नहीं पहचान पाए और वह जंगल में पहुंच गया। जंगल का जो भी प्राणी, इस रंगे सियार को देखता, डर कर भागने लगता। अब सियार को चलाकी सूछी। उसने सभी पशु-पक्षियों से कहा, “मैं तुम्हारा राजा हूं। मुझे भगवान् ने यहाँ भेजा है। जंगल के प्राणियों ने उसे अपना राजा स्वीकार कर लिया। एक दिन सांयकाल के समय जंगल में सियार बोल उठे। रंगे सियार से भी न रहा गया। वह भी उनके साथ हुआ-हुँआ करने लगा। ऐसा करते ही उसकी पोल खुल गई तथा जंगल के प्राणियों ने क्रोध में आकर उसे मार डाला।
शिक्षा- झूठ के पाँव नहीं होते।