जैसी करनी वैसी भरनी
Jesi Karni Wesi Bharni
अजी, सुना आपने?” दादीजी ने हाँफते हुए दादाजी से कहा-“वो जो बलवान सिंह है, जिसने गाँव में होली वाले दिन जीवन के बेटे की हत्या कर दी थी, उसे फाँसी की सजा हो गई है।”
यह सुनकर दादाजी बोले-“जैसी करनी वैसी भरनी। जो जैसा करेगा, उसी के अनुसार उसे फल भोगना पड़ेगा। अच्छे काम का फल अच्छा और बुरे काम का बुर।” अमर और लता भी यह बात सुन रहे थे। लता ने दादाजी से से कुछ पूछ लिया, “दादाजी, वे करनी धरनी का क्या का है।” इसके पीछे भी कोई कहानी है क्या ?
“हाँ बेटा, सुनो।” दादाजी ने कहना शुरू किया, “एक राजा था। राज्य में बहुत अशांति थी। ज्यादातर लोग आलसी और कामचोर थे, और वे कोई काम धंदा और मेहनत-मजदूरी नहीं करते थे। इसलिए वे चोरियाँ और लड़ाई-झगड़ा करते और महिलाओं के साथ छेड़खानी करते। यह राजा ने अपने सिपाहियों को आदेश दिया कि चोरी और गुंडागर्दी करने वालों को जेल में डाल दिया जाए।” दादाजी कहते-कहते रुक गए। फिर क्या हुआ, दादाजी?” अमर और लता ने बेसब्री से पूछा। “फिर क्या होना था! सिपाहियों ने चोरी और गुंडागर्दी करने वालों को पकड़-पकड़कर जेल में डाल दिया। धीरे-धीरे सारी जेलें भर गई। जेल में मुफ्त मिलने वाला खाना खाकर सभी कैदी मोटे हो गए। इसलिए वे जेल में खुश रहने लगे, क्योंकि वहाँ उन्हें बिना काम-धंधा किए ही खाना-पीना मिल जाता था।” कहानी सुनाते-सुनाते दादाजी को खाँसी उठने लगी। तभी अमर भागकर एक गिलास पानी लाया और दादाजी को दे दिया।
दादाजी ने पानी पिया और फिर बोले “जब राजा को इस बात का पता चला तो वह बहुत हैरान-परेशान हो गया। राजा ने अपने मंत्रियों के साथ इस समस्या पर विचार किया। मंत्रियों ने राजा को तरह-तरह के सुझाव दिए। अंत में यह फैसला हुआ कि जो जैसा अपराध करे, उसे वैसी ही सजा दी जाए। इससे लोगों के अंदर डर पैदा होगा और वे गलत काम नहीं करेंगे। राजा ने कहा-‘यह ठीक है! जैसी करनी वैसी भरनी। इस बारे में पूरे राज्य में खबर कर दी जाए।
राजा की आज्ञा के अनुसार राज्य में टिंटोरा पिटवाया गया-सुन-सुनो, महाराजाधिराज का आदेश है कि आज के बाद यदि कोई चोरी, लूटमार, गुडागदी या लड़ाई-झगड़ा करता हुआ पाया गया, तो उसे उसी प्रकार का सजा मिलेगी। अगर कोई चोरी करता पकड़ा गया, तो उसके हाथ काट दिए जाएँगे। यदि कोई किसी की हत्या करेगा, तो उसे सरेआम फासी लगा दी जाएगी। यदि कोई किसी के साथ मारपीट करेगा तो उसे कोड़े मारकर सजा दी जाएगी। जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा।’ राजा का ऐलान सुनकर लोग बहुत डर गए। इस तरह पूरे राज्य में शांति हो गई। चोरी-डकैती, लड़ाई-झगड़ा सब खत्म हो गया। लोग मेहनत और ईमानदारी से काम करने लगे।
“राजा ने एक बार फिर अपने मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया। इस बार यह फैसला हुआ कि जो लोग अच्छा काम करें, उन्हें इनाम दिया जाए। बस, फिर क्या था! समूचे राज्य में इस बात की मुनादी करवा दी गई। इससे लोगों में जोश पैदा हुआ। कलाकार, शिल्पकार, चित्रकार, गायक आदि अपने हुनर का कमाल दिखाने लगे। राजा ने उन्हें खूब सारा इनाम दिया। यानी जैसी करनी वैसी भरनी।” दादाजी ने कहानी पूरी करते हुए कहा।
दादाजी, इसका मतलब है कि हमें कोई भी काम करने से पहले। उसके परिणाम के बारे में जरूर सोच लेना चाहिए।” अमर ने कहा।