Hindi Story, Essay on “Hathi ke Dant”, “हाथी के दाँत” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

हाथी के दाँत

Hathi ke Dant

एक बार एक चूहे को कहीं पड़ा हुआ एक अखरोट मिला। वह उसे अपने बिल में ले आया तथा उसे खाने का। प्रयास करने लगा। बहुत कोशिश करने के पश्चात् भी वह a > अखरोट नहीं तोड़ सका। उसे अपने छोटे-छोटे दाँतों पर बहुत गुस्सा आ रहा था। वह भगवान से शिकायत करने लगा “हे भगवान, तुमने हम चूहों के दाँत इतने छोटे-छोटे क्यों बनाए?” चूहे की शिकायत सुनकर भगवान उसके सामने प्रकट हुए और बोले, “चूहे, तुम्हें कैसे दाँत चाहिए? मुझे बताओ, मैं तुम्हारे दाँत वैसे ही बना दूंगा।” चूहे ने जंगल के सभी जानवरों के दाँतों के बारे में सोचा। किसी के दाँत छोटे हैं। तो किसी के बहुत बड़े। हाथी के दाँतो को देखकर उसने सोचा, “इतने बड़े दाँतों से तो मैं कुछ भी खा सकता हूँ।” अत: हाथी के पास जाकर उसने उसके दाँतों का निरीक्षण किया। उसे इस प्रकार निरीक्षण  करते देखकर हाथी बोला, “चूहे भाई! इन दाँतों  पर ध्यान मत दो। ये दाँत तो दिखाने के हैं।

इन दाँतों से मैं कुछ नही खा सकता। बल्कि मैं इतने भारी दाँतों का भार उठाते-उठाते थक जाता हूँ।” हाथी की बात सुनकर चूहा डर गया। वह वापिस भगवान के पास गया और बोला, “भगवान मेरे दाँत ही सही हैं। मुझे बड़े दाँतों का बोझ नही सहना।” इसीलिए तो कहा गया है हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और।

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