Hindi Story, Essay on “Ghar ka Bhedi Lanka Dhaye”, “घर का भेदी लंका ढाए” Hindi Moral Story, Nibandh, Anuched for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

घर का भेदी लंका ढाए

Ghar ka Bhedi Lanka Dhaye

लंका का राजा रावण था जो कि बहुत अभिमानी था। उसका एक छोटा भाई विभीषण था जो रावण के गुणों के विपरीत सन्त स्वभाव का था। वह सदा ईश्वर भक्ति में लीन रहता था। लंकापति रावण छल से सीता जी को उठाकर लंका ले गया। विभीषण ने उसे समझाया कि उसने यह श्रेष्ठ काम नहीं किया और सीता को वापिस श्री राम जी को दे देने को कहा। परन्तु रावण ने उसकी बात अस्वीकार कर दी फिर पवन पुत्र हनुमान के लंका जलाने पर विभीषण ने सीता जी को लौटा देने की प्रार्थना की। लंकापति रावण इससे क्रोधित हो गया और उसने विभीषण को भरी सभा में दण्डित कर के लंका से बाहर कर दिया। दुःखी विभीषण श्री रामचन्द्र जी की शरण में गया और उसने लंका के सभी रहस्य श्री राम को बता दिए। लंका के रहस्य पाकर श्री रामचन्द्रजी ने लंका पर चढ़ाई कर दी। घमासान युद्ध हुआ। युद्ध में रावण के सगे सम्बन्धिी मारे गए। अन्त में जब रावण मर नहीं रहा था तो विभीषण ने श्री राम को बताया कि इसकी नाभि में अमृतकुण्ड है और जब तक अमृत रहेगा। वह जीवित रहेगा। इस रहस्य को जानकर श्री राम ने अपने अग्नि बाण से रावण की नाभि का अमृत सुखा दिया और इस तरह रावण की मृत्यु हो गई। इससे ‘घर का भेदी लंका ढाए’ तथ्य की पुष्टि हो जाती है।

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